अस्पताल में बर्न यूनिट नहीं
इसके अतिरिक्त अस्पताल में मरीजों को उचित इलाज और देखभाल में भी कई समस्याएं सामने आ रही हैं। खासकर आग से झुलसे हुए मरीजों के लिए अलग से कोई बर्न यूनिट नहीं है। ऐसे में उन मरीजों को सर्जिकल वार्ड में ही भर्ती किया जा रहा है, जबकि इस वार्ड अन्य मरीजों के साथ उन्हें रखने से संक्रमण का खतरा भी बढ जाता है। इस संबंध में अस्पताल में पीएमओ डॉ. चंदनसिंह ने कहा कि बर्न यूनिट ऊपरी हिस्से में है। वहां कुछ रिजर्व बैड्स लगाने की व्यवस्था की जाएगी।
भीषण गर्मी में नहीं शीतल पानी की माकूल व्यवस्था
अस्पताल में शीतल पेयजल की आपूर्ति भी बहुत कम हो गई है, जिससे न केवल मरीजों को बल्कि उनके परिजनों को भी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। अस्पताल में बन की टोंटिया, हैंडवॉश सिंक व शौचालय क्षतिग्रस्त व गंदगी से अटे पड़े हैं। पानी की व्यवस्था न होने से मरीजों को स्वच्छता बनाए रखने में मुश्किल हो रही है, जो गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकता है।
बच्चा वार्ड में गंदगी बनी परेशानी
अस्पताल के एमसीएच यूनिट के बच्चा वार्ड की स्थिति भी जुदा नहीं है। यहां बरामदों में प्लास्टिक की खाली बोतलें, रेपर व जगह-जगह गिरी चाय, ज्यूस व अन्य प्रकार की गंदगी से संक्रमण का खतरा हर समय बना रहता है। प्रत्यक्षदर्शी बताते हैं कि सफाईकर्मी सफाई करते हैं, लेकिन वार्ड में भर्ती मरीजों के परिजन व उनके साथ आए बच्चे कचरा व गंदगी फैलाने में कोई कसर नहीं छोड़ते है। ऐसे में यह स्थिति बनी हुई है।
रात्रि में सुरक्षा व्यवस्था अपर्याप्त
अस्पताल में विशेष रूप से सुरक्षा व्यवस्था भी सवालों के घेरे में है। जानकारी के अनुसार अस्पताल की सुरक्षा का जिम्मा केवल 12 होमगार्ड के भरोसे है, जो तीन शिफ्टों में ड्यूटी पर तैनात रहते हैं। इनमें से रात के समय मात्र दो होमगार्ड ही अस्पताल की सुरक्षा का ध्यान रखते हैं, जो सुरक्षा की दृष्टि से पर्याप्त नहीं मानी जा सकती। इतने बड़े अस्पताल में कम से कम 8 से 10 कार्मिक सुरक्षा के लिए हर समय मौजूद रहने चाहिए। पूर्व में कई तरह की घटनाएं भी घटित हो चुकी हैं। फैक्ट फाइल
- 100 से 200 बच्चों की अस्पताल में जांच व उपचार प्रतिदिन
- 200 बेड्स का है जवाहिर चिकित्सालय
- 50 बेड्स का है एमसीएच यूनिट