हादसे आम, समाधान दुर्लभ
विशेष रूप से लाठी से ओढ़ाणिया के बीच रेल पटरियों पर आए दिन हादसे हो रहे है। इस रेलवे मार्ग पर न तो कोई स्थायी बाड़बंदी है और न ही कोई चौकसी की व्यवस्था। खुले में घूमते मवेशी आसानी से रेल पटरी तक पहुंच जाते है और तेज रफ्तार रेलों की चपेट में आ जाते है। गत कुछ वर्षों में दर्जनों पशुओं और वन्यजीवों की रेलों की चपेट में आने से मौत हो चुकी है। कई बार हरिण, नीलगाय, ऊंट, गायों, बकरियों की सामूहिक मौतें भी हो चुकी है। इसके बावजूद रेलवे विभाग और वन विभाग की ओर से मिलकर इन हादसों की रोकथाम को लेकर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। हादसों में पशुओं की मौत से स्थानीय पशुपालकों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। यह क्षेत्र मुख्य रूप से कृषि व पशुपालन पर निर्भर है और पशुपालकों की आजीविका प्रभावित हो रही है।
समाधान भी संभव
– रेल पटरियों के दोनों तरफ बाड़बंदी या जाली की जाए – संवेदनशील स्थानों पर चेतावनी संकेत व गति नियंत्रण के निर्देश जारी करें – गश्त व निगरानी के लिए टीमें बनाई जाए – पशुपालकों को अपने पशुओं को रेल पटरियों से दूर रखने के लिए जन-जागरण करें रेल से टकराकर बन चुके काल का ग्रास – 28 मई 2025 को 3 गायों व 1 बैल की मौत
– 27 मई 2025 को 23 बकरियों की मौत – 1 अगस्त 2024 चार गोवंश की मौत – 27 जनवरी 2023 को तीन गोवंश कि मौत – 14 जुलाई 2023 को एक ऊंट व एक गर्भवती ऊंटनी की मौत
– 10 जुलाई 2021 को 4 ऊंटों की मौत – 24 अगस्त को 9 ऊंटों की मौत – 28 जून 2022 को 2 गायों की मौत – 30 मई 2022 को 3 बकरियों की मौत, 1 बकरी घायल
स्थायी समाधान हो तो मिले राहत
रेलवे ट्रेक पर न तो कोई बाड़बंदी है, न ही सुरक्षा के कोई इंतजाम। ऐसे में आए दिन हादसे हो रहे है। प्रशासन व जिम्मेदारों की ओर से हादसों की रोकथाम को लेकर स्थायी समाधान नहीं किए जा रहे है। पशु बाहुल्य क्षेत्रों से निकल रही रेलवे पटरियों के दोनों तरफ जाली या तारबंदी करने से पशुओं को पटरियों तक पहुंचने से रोका जा सकता है। – जगनलाल पालीवाल, पशुपालक, ओढ़ाणिया