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जैसलमेर: 1835 में बनी छतरियों का क्या है विवाद? 6 साल पहले क्या हुआ था? यहां जानें पूरी कहानी

Jaisalmer Chhatri Controversy: जैसलमेर जिले के बासनपीर गांव में गुरुवार को ऐतिहासिक छतरियों के पुनर्निर्माण को लेकर दो समुदायों के बीच हिंसक झड़प हो गई।

जैसलमेरJul 11, 2025 / 05:02 pm

Nirmal Pareek

Jaisalmer Basanpir Chhatri Controversy

बासनपीर में छतरियों को लेकर तनाव, फोटो-राजस्थान पत्रिका

Jaisalmer Chhatri Controversy: राजस्थान के जैसलमेर जिले के बासनपीर गांव में गुरुवार (10 जुलाई 2025) को ऐतिहासिक छतरियों के पुनर्निर्माण को लेकर दो समुदायों के बीच हिंसक झड़प हो गई। यह विवाद रियासतकालीन वीर योद्धाओं रामचंद्र जी सोढ़ा और हदूद जी पालीवाल की स्मृति में बनी छतरियों के निर्माण कार्य के दौरान भड़का।
बता दें, दोनों पक्षों के बीच मारपीट और पत्थरबाजी की घटना में एक पुलिसकर्मी नरपत सिंह सहित चार लोग घायल हो गए। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। पुलिस ने 20 से अधिक महिलाओं सहित 24 लोगों को हिरासत में लिया है। जैसलमेर के एसपी सुधीर चौधरी ने बताया कि स्थिति अब नियंत्रण में है और आरोपियों की पहचान कर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

क्या है इस पूरे विवाद की जड़?

बताते चलें कि यह विवाद 2019 में तब शुरू हुआ जब इन छतरियों को कथित तौर पर एक शिक्षक द्वारा कुछ लोगों को उकसाकर तोड़ दिया गया था। इसके विरोध में झुंझार धरोहर बचाओ संघर्ष समिति और हिंदू संगठनों ने जिले भर में आंदोलन किया। पुलिस ने उस समय तीन लोगों को गिरफ्तार कर कोर्ट में चालान पेश किया था।
इसके बाद 2021 में कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर प्रशासन की मध्यस्थता में दोनों पक्षों के बीच सहमति के बाद पुनर्निर्माण शुरू हुआ, लेकिन दो दिन बाद तनाव के कारण काम रोक दिया गया। समिति के सदस्य गणपत सिंह ने आरोप लगाया कि तत्कालीन सरकार के दबाव में प्रशासन ने निर्माण कार्य रुकवाया, जो नीति के खिलाफ था।

छतरियों का ऐतिहासिक महत्व

बासनपीर गांव में 1835 में तत्कालीन महारावल गज सिंह द्वारा निर्मित छतरियां ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक हैं। ये छतरियां वीर योद्धा रामचंद्र जी सोढ़ा और हदूद जी पालीवाल की स्मृति में बनाई गई थीं। रामचंद्र जी सोढ़ा ने 1828 में जैसलमेर और बीकानेर के बीच हुए बासनपीर युद्ध में जैसलमेर की ओर से लड़ते हुए वीरगति प्राप्त की थी।
वहीं, हदूद जी पालीवाल ने गांव में तालाब खुदवाकर सामाजिक योगदान दिया था, जिसके सम्मान में उनकी छतरी बनाई गई थी। ये छतरियां स्थानीय राजपूत समुदाय के लिए गौरव और बलिदान का प्रतीक हैं।

यहां देखें वीडियो-


बातचीत के बाद शुरू हुआ था निर्माण

बीते बुधवार को प्रशासन और दोनों पक्षों के बीच बातचीत के बाद गुरुवार को छतरियों का पुनर्निर्माण फिर से शुरू हुआ। लेकिन, विशेष समुदाय की सैकड़ों महिलाओं और युवाओं ने निर्माण स्थल पर पहुंचकर पत्थरबाजी शुरू कर दी। इस हमले में गणपत सिंह सहित कई लोग घायल हो गए और कई वाहनों को नुकसान पहुंचा।
इस दौरान पुलिस पर भी पथराव हुआ, जिसमें कांस्टेबल नरपत सिंह घायल हुए। पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए 24 उपद्रवियों को हिरासत में लिया। घायलों को जैसलमेर जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनका इलाज चल रहा है।
एसपी सुधीर चौधरी ने बताया कि दोनों पक्षों के बीच समझौते के बाद निर्माण शुरू हुआ था, लेकिन पत्थरबाजी के चलते स्थिति को तनावपूर्ण हो गई। पुलिस ने उपद्रवियों को चिह्नित करने के लिए सीसीटीवी फुटेज की जांच कर रही है। घटनास्थर पर अतिरिक्त पुलिस बल तैनात कर स्थिति को नियंत्रित किया गया है।

बीजेपी MLA ने घटनास्थल पर गुजारी रात

घटना के बाद बीजेपी विधायक महंत प्रताप पुरी ने गुरुवार रात निर्माण स्थल पर समर्थकों के साथ भजन-कीर्तन किया और घोषणा की कि जब तक छतरियां पूरी नहीं बन जातीं वे वहां से नहीं हटेंगे। शुक्रवार सुबह शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी भी मौके पर पहुंचे और निर्माण कार्य को समर्थन दिया। वहीं, जिले के अन्य बीजेपी नेताओं ने भी घटना की निंदा की और छतरियों के पुनर्निर्माण की मांग की।

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