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जैसलमेर

 रेगिस्तान में ऊर्जा क्रांति.. बॉर्डर पर अरबों का निवेश बढ़ा

मरुस्थल की गोद में बसे जैसलमेर और बाड़मेर अब केवल भूगोल की पहचान नहीं रह गए हैं। ये जिले अब रोजगार, निवेश और ऊर्जा क्रांति के केंद्र बनते जा रहे हैं।

जैसलमेरAug 19, 2025 / 09:05 pm

Deepak Vyas

मरुस्थल की गोद में बसे जैसलमेर और बाड़मेर अब केवल भूगोल की पहचान नहीं रह गए हैं। ये जिले अब रोजगार, निवेश और ऊर्जा क्रांति के केंद्र बनते जा रहे हैं। भारत-पाक बॉर्डर और थार रेगिस्तान से घिरे ये क्षेत्र हाइब्रिड ऊर्जा परियोजनाओं के कारण आर्थिक समृद्धि और अंतरराष्ट्रीय निवेश का आकर्षण बन गए हैं। पश्चिमी राजस्थान के ये जिले सोलर और पवन ऊर्जा संयोजन के लिए आदर्श माने जाते हैं। आंकड़े बताते हैं कि इन प्रोजेक्ट्स ने न केवल क्षेत्र को आर्थिक मजबूती दी है, बल्कि हजारों युवाओं के लिए रोजगार भी उत्पन्न किया है। निर्माण, संचालन, तकनीकी सेवाओं और रख-रखाव जैसे क्षेत्रों में नई नौकरियों का सृजन हुआ है। राजस्थान की नई ऊर्जा नीति और प्रोत्साहन योजनाओं ने निवेशकों का भरोसा बढ़ाया है। सरकार की ओर से परियोजनाओं के लिए जमीन और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। रेगिस्तान का भूगोल, तेज हवाएं और वर्ष का अधिकांश समय गर्मी, इन जिलों को हाइब्रिड ऊर्जा के लिए आदर्श बनाते हैं। सौर ऊर्जा संयंत्रों में सूर्य की किरणों को विद्युत में बदल कर विभिन्न प्रयोगों में लाया जा रहा है।

आगामी दशकों में संभावित असर

विशेषज्ञों का अनुमान है कि आने वाले 10-15 वर्षों में ये क्षेत्र ऊर्जा उत्पादन और आर्थिक समृद्धि में मिसाल बन सकेगा। राजस्थान न केवल ऊर्जा आत्मनिर्भर बनेगा, बल्कि अन्य राज्यों को भी बिजली निर्यात करने में सक्षम होगा। बालोतरा के पॉपलीन उद्योग की 730 से अधिक इकाइयों को सौर ऊर्जा से जोडक़र उत्पादन लागत में कमी और लाभ बढ़ाया जा सकता है। नर्मदा-इंदिरा नहर का पानी आने के बाद बाड़मेर में सौर आधारित कृषि की संभावनाएं भी खुलेंगी।

ऊर्जा मानचित्र पर पहचान

पोकरण क्षेत्र के धूड़सर में रिलायंस का सौर ऊर्जा संयंत्र सक्रिय हो चुका है। राजस्थान रिन्यूएबल एनर्जी कॉर्पोरेशन नोख क्षेत्र में राज्य का दूसरा सबसे बड़ा पावर प्लांट स्थापित कर रहा है, जिसमें 925 मेगावाट विद्युत उत्पादन का लक्ष्य है। जैसलमेर जिले के नेड़ान-मूलाना क्षेत्र में 1500 मेगावाट का सोलर पार्क तैयार हो रहा है। फतेहगढ़ व लाठी में 1-1 मेगावाट की सोलर परियोजनाएं शुरू की जा चुकी हैं।
बाड़मेर जिले में 1000 से अधिक कृषि कुओं पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाए गए हैं। राष्ट्रीय मरू उद्यान क्षेत्र में 6500 घरों को सौर ऊर्जा से रोशन किया जाएगा। बालोतरा के पॉपलीन उद्योग के डेढ़ दर्जन कारखानों में 2 हजार मीटर तक के क्षेत्र में 10 केवीआर तक सौर ऊर्जा से बिजली उत्पादन हो रहा है। फतेहगढ़ और आसपास के क्षेत्रों में 233 पवन ऊर्जा संयंत्र लगाने की योजना प्रगति पर है।

चुनौतियां और समाधान

हालांकि, रिण इलाकों की खारेपन से भरी जमीन और सौर ऊर्जा संयंत्रों के लिए पर्याप्त एवं सस्ता पानी उपलब्ध कराना बड़ी चुनौती है। इसके साथ ही कुशल श्रमिकों की कमी भी एक समस्या बनी हुई है।

राजस्थान का ऊर्जा हब

राजस्थान में सर्वाधिक पवन ऊर्जा संयंत्र जैसलमेर जिले में हैं। प्रदेश में वर्तमान में 4913 मेगावाट विद्युत उत्पादन पवन ऊर्जा से हो रहा है, जिसमें 4000 मेगावाट से अधिक बाड़मेर और जैसलमेर में ही उत्पन्न होता है। पवन ऊर्जा उत्पादन के मामले में राजस्थान अब देश का दूसरा बड़ा केंद्र बन चुका है। भौगोलिक दृष्टि से जैसलमेर और बाड़मेर के पवन व सौर ऊर्जा संयंत्र राजस्थान को ऊर्जा आत्मनिर्भर बनाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। जिले के प्रभारी मंत्री जोराराम कुमावत का कहना है कि आगामी वर्षों में ये जिले न केवल ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में मिसाल बनेंगे, बल्कि आर्थिक समृद्धि, रोजगार और हरित ऊर्जा के क्षेत्र में भी प्रदेश का भविष्य तय करेंगे।

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