कुंडली मिल रही, रिश्ता तय… फिर भी क्यों कुंवारे घूम रहे छोरा-छोरी? पढ़िए चौंकाने वाली सच्चाई
Marriage Trends : कुंडली भी मिल रही है, रिश्ते भी तय हो रहे हैं, लेकिन शादी की रस्में निभाने से युवा कतराते नज़र आ रहे हैं। समाज में एक नई प्रवृत्ति तेजी से उभर रही है, जहां युवा शादी के नाम से ही दूर भाग रहे हैं।
सविता व्यास जयपुर। “मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू…” जैसे रोमांटिक गीत अब युवाओं के दिलों में उत्साह नहीं जगा पा रहे हैं। वजह साफ है कि बदलते दौर में युवा पीढ़ी को फेरे नहीं फ्रीडम पसंद है। जयपुर के 28 वर्षीय वकील आशीष कहते हैं, ‘फैमिली कोर्ट में रोज़ तलाक और घरेलू विवाद के मामले देखता हूं। शादी से बेहतर है सिंगल रहना।’ यह सोच आज के युवाओं की बदलती मानसिकता को दर्शाती है, जो स्वतंत्रता, कॅरियर और आत्म-सम्मान को प्राथमिकता दे रही है।
वर्तमान में शादी व्यक्तिगत निर्णय बन चुका है। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की 2024 की रिपोर्ट ‘भारत में महिलाएं और पुरुष’ के अनुसार, 15-34 आयु वर्ग के 26.1% पुरुष और 19.9% महिलाएं अविवाहित रहना पसंद कर रही हैं। यह आंकड़ा 2011 के 17.2% से काफी अधिक है। विशेष रूप से दिल्ली, पंजाब, उत्तर प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में अविवाहित युवाओं की संख्या सबसे अधिक है, जबकि केरल और तमिलनाडु में यह कम है।
युवाओं की बदल रही सोच अब शादी स्त्री के लिए ‘समर्पण’ नहीं, बल्कि ‘साझेदारी’ का प्रतीक बनती जा रही है। आर्थिक रूप से स्वतंत्र महिलाएं अब विवाह को आवश्यक नहीं, बल्कि ‘विकल्प’ मानती हैं। वहीं, युवाओं के लिए शादी सामाजिक कर्तव्य नहीं, बल्कि एक व्यक्तिगत निर्णय बनता जा रहा है, जिसमें प्रेम, समझ, कॅरियर और आत्म-सम्मान को पहली प्राथमिकता दी जा रही है। शादी न करने वाले सर्वाधिक युवा जम्मू-कश्मीर, पंजाब, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में हैं।
रिश्तों में विश्वास की कमी भी बनी वजह लिव-इन रिलेशनशिप को बढ़ावा दिया है। 2024 के एक सर्वेक्षण में, 62% शहरी युवाओं ने कहा कि वे लिव-इन को शादी से बेहतर विकल्प मानते हैं। रिश्तों में विश्वास की कमी भी एक बड़ा कारण है। राजस्थान पुलिस के आंकड़ों के अनुसार राजस्थान में 2023-2025 (जनवरी-मार्च) के बीच 2,415 हत्याओं में से 15% (लगभग 362 मामले) अवैध संबंधों से जुड़े थे। ये आंकड़े युवाओं में शादी के प्रति अविश्वास को बढ़ाते हैं।
तनाव और सामाजिक दबाव शादी के बाद सामाजिक और पारिवारिक जिम्मेदारियां अक्सर तनाव का कारण बन जाती हैं। अगर लडक़ा अपनी पत्नी की तरफ बोले तो घरवाले उसे ‘जोरू का गुलाम’ कहते हैं, और परिवार की तरफ बोले तो पत्नी नाराज हो जाती है। कई बार यह स्थिति इतनी गंभीर हो जाती है कि लडक़े आत्महत्या जैसा कदम भी उठा लेते हैं।
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