बता दें कि कांग्रेस सरकार के समय कनिष्ठ अभियंता, सहायक नगर नियोजक, वरिष्ठ प्रारूपकार, अग्निशमन अधिकारी, वाहन चालक फायर और फायरमैन के पद पर भर्ती की गई थी। भाजपा की सरकार बनते ही स्वायत्त शासन मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने भी संकेत दिए थे कि भर्ती प्रक्रिया की जांच की जाएगी।
डेढ़ महीने से कर रहे अवहेलना
स्वायत्त शासन विभाग ने तीन अप्रैल को निकायों को भर्ती से जुड़ी जांच के लिए निर्देश दिए। इसके लिए संबंधित निकायों में जांच समिति का गठन किया गया। जांच रिपोर्ट आठ अप्रैल तक विभाग को भेजी जानी थी, लेकिन ज्यादातर निकायों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। इसके बाद 24 अप्रैल को पहला स्मरण पत्र जारी किया गया, लेकिन अफसरों पर इसका भी असर नहीं हुआ। दूसरे स्मरण पत्र की भी अवहेलना की गई। अब अंतिम पत्र जारी करते हुए तीन दिन का अल्टीमेटम दिया है।
इनके भी जवाब जरूरी
निकायों में ऐसे अफसर लंबे समय से जमे हैं और वे ज्यादातर मामलों में लापरवाही बरतते आए हैं। विभाग सख्त एक्शन नहीं ले पाया, जिन पदों पर भर्ती की गई, क्या पहले उनमें गड़बड़ी सामने आई? जांच के पीछे राजनीतिक मंशा तो नहीं। कांग्रेस जांच के कारण बताने की मांग करती रही है।