जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की बेंच कोटा व खड़गपुर आइआइटी में विद्यार्थियों के सुसाइड मामलों की सुनवाई कर रही थी। सुनवाई के दौरान बेंच कोटा में एक छात्रा के सुसाइड मामले में एफआइआर दर्ज नहीं करने से नाराज दिखी और राजस्थान सरकार के वकील से तीखे सवाल पूछे। खड़गपुर आइआइटी में छात्र के सुसाइड मामले में कोर्ट ने कहा कि एफआइआर दर्ज करने में चार दिन क्यों लगे?
राज्य सरकार से मांगा जवाब
बेंच ने कहा कि कोटा में इसी साल 14 कोचिंग स्टूडेंट सुसाइ़़ड कर चुके हैं, सरकार इसे लेकर कर क्या रही है? कोटा में ही विद्यार्थी क्यों मर रहे हैं, क्या सरकार ने इस पर कोई विचार नहीं किया? कोर्ट ने कहा कि यह मामला गंभीर है जिसे हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। कोर्ट ने छात्रा सुसाइड मामले में कोटा के
पुलिस अधीक्षक को 14 जुलाई को तलब किया है और राज्य सरकार से जवाब मांगा है।
पुलिस अधिकारी ने की है अवमानना
सुनवाई के दौरान राजस्थान सरकार के वकील ने कहा कि इस छात्रा सुसाइड मामले विशेष जांच दल (एसआईटी) जांच कर रहा है। इस पर बेंच ने कहा कि इस मामले में केवल मर्ग (असामान्य मौत का मामला) दर्ज कर क्यों छोड़ दिया गया? एफआइआर दर्ज क्यों नहीं की गई? कोर्ट ने कहा कि संबंधित थाने के थाना प्रभारी (एसएधओ) ने एफआइआर दर्ज नहीं कर कोर्ट के आदेश की अवहेलना की है और इस पर उनके खिलाफ अवमानना का मामला बनता है। पूर्व में सुप्रीम कोर्ट ने सुसाइड मामलों में एफआइआर दर्ज करने के निर्देश दिए थे।
सुसाइड रोकने के लिए किए ये उपाय
-कलक्टर-एसपी कोचिंग संस्थानों में जाकर विद्यार्थियों से कर रहे संवाद। -गेट कीपर ट्रेंनिग और फर्स्ट कॉन्टैक्ट पर्सन को किया ट्रेंड। -कोचिंग व हॉस्टल में सुबह-शाम हाजिरी, मैसेज परिजनों को। -संस्थानों का पंजीकरण, स्टूडेंट्स केयर व रूम में एंटी हैंगिंग डिवाइस -छात्रों को मानसिक रूप से मजबूत रहने का प्रशिक्षण व काउंसिलिंग।