एकलपीठ ने दी सख्त चेतावनी
इस मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने सरकार को अंतिम अवसर देते हुए चेताया कि यदि तय समयसीमा तक निर्णय नहीं हुआ, तो अदालत कोर्ट कोस्ट (आर्थिक दंड) लगाएगी। इसके साथ ही, निर्णय लेने में विफल अधिकारियों पर भी जिम्मेदारी तय की जाएगी।
ऑपरेशन सिंदूर का दिया हवाला
राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता विज्ञान शाह (AAG) ने कोर्ट में प्रस्तुतिकरण देते हुए कहा कि सरकार ने 13 मई को इस विषय पर सब-कमेटी की बैठक बुलाई थी, लेकिन ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के चलते कई मंत्री उपस्थित नहीं हो सके, वहीं एक मंत्री की तबीयत खराब थी। अब अगली बैठक 21 मई को प्रस्तावित है, जिसके बाद सरकार कोर्ट को अपने निर्णय से अवगत कराएगी।
अब तक का घटनाक्रम
RPSC ने वर्ष 2021 में 859 पदों पर SI और प्लाटून कमांडर की भर्ती प्रक्रिया शुरू की थी। परीक्षा के बाद पेपर लीक की शिकायतें सामने आईं, जिसकी जांच SOG को सौंपी गई। जांच में कई गिरफ्तारियाँ हुईं, जिनमें ट्रेनी SI भी शामिल थे। भर्ती की वैधता को चुनौती देते हुए याचिकाएं हाईकोर्ट में दायर की गईं। वहीं, 18 नवंबर, 6 जनवरी और 9 जनवरी को हाईकोर्ट ने ‘यथास्थिति बनाए रखने’ के आदेश दिए। पुलिस मुख्यालय ने 10 जनवरी को आदेश जारी कर ट्रेनी SI की फील्ड ट्रेनिंग पर रोक लगा दी, जो अब तक प्रभावी है।
भर्ती को लेकर दो पक्षों की दलीलें
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि पेपर लीक की पुष्टि के बाद भर्ती को रद्द किया जाना चाहिए। एसओजी, पुलिस मुख्यालय, महाधिवक्ता कार्यालय और कैबिनेट सब-कमेटी भी भर्ती निरस्त करने की सिफारिश कर चुके हैं। दूसरी ओर, ट्रेनिंग ले रहे ट्रेनी SI का कहना है कि उनकी कोई संलिप्तता नहीं है। उन्होंने इस नौकरी के लिए अन्य अवसर छोड़े हैं और अब भर्ती रद्द होना उनके साथ अन्याय होगा।