सेंट्रल पोर्टल की मांग
अभ्यर्थियों का कहना है कि कॉलेज शिक्षा आयुक्तालय को एक सेंट्रलाइज पोर्टल विकसित करना चाहिए, जहां विषयवार रिक्त पदों की जानकारी, ऑनलाइन आवेदन और दस्तावेज सत्यापन हो सके। इससे न केवल समय और संसाधन की बचत होगी, बल्कि भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता भी आएगी।वेतन प्रणाली में बदलाव पर नाराजगी
पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के समय विद्या संबल योजना के तहत मासिक वेतन दिया जाता था और शिक्षक पूरे सत्र तक पढ़ाते थे। लेकिन भाजपा सरकार आने के बाद योजना में बदलाव करते हुए घंटों के आधार पर भुगतान की व्यवस्था लागू की गई है। इससे सत्र के बीच में ही शिक्षण कार्य रुकने की स्थिति बन जाती है।अभ्यर्थियों की प्रमुख आपत्तियां
1- सप्ताह में केवल 14 घंटे की शिक्षण सीमा तय की गई है, जिससे यूजी और पीजी स्तर पर पाठ्यक्रम अधूरा रहने की आशंका जताई जा रही है।2- गाइडलाइन के अनुसार, परीक्षाओं की तिथि घोषित होते ही अस्थायी शिक्षकों की सेवाएं समाप्त कर दी जाएंगी, जबकि साल में दो बार सेमेस्टर परीक्षाएं होती हैं। इससे हर बार नई नियुक्तियों की प्रक्रिया झेलनी होगी।
3- आवेदन प्रक्रिया कॉलेज स्तर पर प्रिंसिपल द्वारा संचालित होगी, जो पारदर्शिता और दक्षता में बाधा बन सकती है।
संविदा नियमों के अंतर्गत नया स्वरूप दे
सरकार को चाहिए कि वह इस योजना को अन्य राज्यों की तरह संविदा नियमों के अंतर्गत नया स्वरूप दे। इससे रिक्त पदों की पूर्ति, गुणवत्ता और अनुशासन तीनों सुनिश्चित होंगे।डॉ. रामसिंह सामोता, सहायक आचार्य, विद्या संबल योजना
कॉलेजों में पर्याप्त शिक्षकों की नियुक्ति आवश्यक
यदि नई शिक्षा नीति को सही मायनों में लागू करना है, तो कॉलेजों में पर्याप्त शिक्षकों की नियुक्ति आवश्यक है। उन्हें बार-बार हटाना और नियुक्त करना गलत है।बनय सिंह, प्रदेश महामंत्री, राजस्थान विवि एवं महाविद्यालय शिक्षक संघ