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जयपुर

Janmashtami 2025 : राजस्थान के ये 5 मंदिर जहां जन्माष्टमी होती है बेहद खास, जानें

Janmashtami 2025 : जन्माष्टमी का त्योहार कल 16 जुलाई को पूरे देश में मनाया जाएगा। पर राजस्थान के ये 5 मंदिर जहां जन्माष्टमी होती है बेहद खास। जानें इन मशहूर मंदिरों के नाम।

जयपुरAug 16, 2025 / 07:30 am

Sanjay Kumar Srivastava

Rajasthan These 5 temples where Janmashtami is very special know
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फाइल फोटो पत्रिका

Janmashtami 2025 : राजस्थान सहित पूरे देश में कल जन्माष्टमी मनाई जाएगी। भगवान श्री कृष्ण के जन्म को लेकर सभी बहुत उत्साहित हैं। सभी मंदिरों और घरों में तैयारियां जोरों के साथ हो रही हैं। पर राजस्थान के ये 5 मंदिर जहां जन्माष्टमी होती है बेहद खास। जानें इन मशहूर मंदिरों के बारे में।
Govind Dev Ji Temple Jaipur
गोविंद देव जी मंदिर जयपुर। फोटो पत्रिका

गोविंद देव जी मंदिर में उत्साह से मनाते हैं जन्माष्टमी

पांच हजार साल पहले भगवान श्री कृष्ण के प्रपोत्र व मथुरा नरेश ब्रजनाभ की बनवाई गई गोविंद देवजी की मूर्ति ने जयपुर को भी वृंदावन बना दिया। राधारानी और दो सखियों के संग विराजे गोविंददेव जी को कनक वृंदावन से सिटी पैलेस परिसर के सूरज महल में विराजमान किया गया। औरंगजेब के दौर में देवालयों को तोड़ने के दौरान चैतन्य महाप्रभु के शिष्य शिवराम गोस्वामी राधा गोविंद को वृंदावन से बैलगाड़ी में बैठाकर सबसे पहले सांगानेर के गोविंदपुरा पहुंचे थे। आमेर नरेश मानसिंह प्रथम ने वृंदावन में राधा गोविंद का भव्य मंदिर बनवाने के बाद गोविंदपुरा को गोविंददेवजी की जागीर में दे दिया था। जयसिंह द्वितीय ने जयपुर बसाया तब राधा गोविंद जी को सिटी पैलेस के सूरज महल में ले आए। गोविंद देवजी मंदिर में जन्माष्टमी का त्यौहार बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है।
Janmashtami 2025
राधा दामोदर मंदिर जयपुर। फोटो पत्रिका

राधा दामोदर मंदिर जयपुर में दोपहर 12 बजे होता है प्राकट्य

वृंदावन के राधा दामोदर मंदिर की एक प्रतिरूप जयपुर में भी है। जहां जन्माष्टमी पर विशेष पूजा और उत्सव होते हैं। जयपुर और वृंदावन का पुराना नाता है। जयपुर में कई प्राचीन मंदिर हैं जहां भगवान श्री कृष्ण के विग्रह मौजूद हैं। जयपुर का राधा दामोदर मंदिर, जहां पर भगवान का प्राकट्य दोपहर 12 बजे होता है। जानकर आश्चर्य होगा कि विश्व में यह एकमात्र मंदिर है, जहां भगवान दोपहर 12 बजे जन्म लेते हैं। इसका रिवाज वृंदावन से चला आ रहा है। भगवान का नाम दामोदर यह भगवान के बाल स्वरूप को दर्शाता है।
Madan Mohan Ji Temple Karauli
मदन मोहन जी मंदिर, करौली। फोटो पत्रिका

मदन मोहन जी मंदिर, करौली में मनाया जाता विशेष उत्सव

करीब 300 वर्ष पूर्व भगवान मदन मोहन का विग्रह करौली के तत्कालीन नरेश और भगवान कृष्ण के परम भक्त गोपाल सिंह करौली लेकर आए थे। जिन्होंने करौली राजमहल में बने राधा गोपाल जी के मंदिर में स्थापित किया। मंदिर में भगवान मदन मोहन, राधारानी जी के साथ विराजमान है, तो भगवान के बाईं ओर राधा गोपालजी एवं दाई ओर राधा-ललिता जी की मूर्तियां विराजमान है। भगवान मदन मोहन मंदिर में गौड़ीय सम्प्रदाय के अनुसार पूजा अर्चना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि भगवान कृष्ण के प्रपौत्र पद्नानाभ के हाथ से निर्मित श्रीकृष्ण की तीन मूर्तियों में से एक प्रतिमा भगवान मदन मोहन के रूप में करौली में विराजमान है। जन्माष्टमी के अवसर पर करौली के श्री मदन मोहन जी मंदिर में विशेष उत्सव मनाया जाता है। इस दिन, मंदिर में भगवान कृष्ण के बाल रूप की पूजा की जाती है और विशेष आरती, भजन-कीर्तन, और अन्य धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

ठाकुर द्वारकाधीश मंदिर कांकरोली में किए जाते हैं कई धार्मिक कार्यक्रम

कांकरोली का द्वारकाधीश मंदिर कांकरोली गांव में स्थित नाथद्वारा के प्रमुख पर्यटक आकर्षणों में से एक है। यह मंदिर कांकरोली मंदिर के रूप में भी जाना जाता है। हिंदू देवता श्रीकृष्ण इस खूबसूरत मंदिर के एकमात्र देवता हैं। इनकी लाल पत्थर की मूर्ति पूर्ण भक्ति और समर्पण के साथ मंदिर में पूजी जाती है। बहुत से लोग मानते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण की लाल पत्थर की मूर्ति मथुरा से लाई गई थी। महाराणा राज सिंह ने 1676 में मंदिर का निर्माण कराया था। यह मंदिर वैष्णव और वल्लभाचार्य संप्रदायों से संबंधित है। उदयपुर शहर से 65 किमी की दूरी पर स्थित, द्वारकाधिश मंदिर राजसमंद झील के तट पर स्थित है। जन्माष्टमी के अवसर पर मंदिर में विशेष पूजा, आरती और अन्य धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। साथ ही मंदिर के बाहर तोपों से सलामी भी दी जाती है।
Shrinathji Temple Nathdwara
श्रीनाथजी मंदिर नाथद्वारा। फोटो पत्रिका

श्रीनाथजी मंदिर नाथद्वारा में धूमधाम से मनाई जाती है जन्माष्टमी

राजस्थान के नाथद्वारा में स्थित है भगवान कृष्ण का एक प्रसिद्ध मंदिर है श्रीनाथजी मंदिर। नाथद्वारा में जन्माष्टमी का उत्सव बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। जन्माष्टमी पर श्रीनाथजी मंदिर में विशेष पूजा, आरती और भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है। नाथद्वारा शब्द का अर्थ है नाथ का द्वार यानि भगवान का द्वार। यह मंदिर पुष्टिमार्ग सम्प्रदाय की मुख्य पीठ है। भगवान कृष्ण के बाल रूप की नाथद्वारा में पूजा की जाती है। मंदिर का इतिहास मुगल शासक औरंगजेब के शासनकाल से जुड़ा है, जब मंदिर की मूर्ति को मथुरा से मेवाड़ लाया गया था।

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