जयपुर शहर, भिवाड़ी, जोधपुर और भरतपुर में पूरी तैयारी है। जबकि, उदयपुर, कोटा, अजमेर, अलवर सहित अन्य शहरों में प्रक्रिया शुरू होगी। इसके बाद कोई भी विकास प्राधिकरण, नगर विकास न्यास, शहरी निकाय किस्तों में काम नहीं कर पाएंगे।
कॉर्डिनेशन कर एक ही तरह से काम करना होगा। अभी म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन, विकास प्राधिकरण, नगर विकास न्यास अपने-अपने एरिया में मनमाने तरीके से ड्रेनेज और सीवरेज सिस्टम तैयार करते रहे हैं। नतीजा, बारिश के पानी से सड़कें लबालब होती रही तो ओवरफ्लो सीवरेज लाइन टूटती गई। जयपुर विकास प्राधिकरण ने 12 साल पहले ड्रेनेज प्लान बनाया था, लेकिन उसके अनुसार काम नहीं हुआ।
निगम ने बंद ठेले हटवाए, कई जगह की कार्रवाई
ये हैं हालात
सीवर लाइन: मौजूदा सीवर लाइन में फ्लो अपेक्षा से ज्यादा है। बारिश का पानी भी इस लाइन में भी जा रहा है। इससे आए दिन सीवर लाइन फटने की घटना सामने आती रही है। इनके पाइप और अन्य संसाधनों की क्षमता बढ़ानी जरूरी है।
ड्रेनेज सिस्टम: ड्रेनेज का मास्टर प्लान ही नहीं, किस्तों में निर्माण किया जा रहा। बेतरतीब तरीके से ड्रेनेज सिस्टम तैयार करने से कहीं लेवल में अंतर है तो कहीं एक हिस्से को दूसरे जोड़ने का मैकेनिज्म ही नहीं। अभी जो ड्रेनेज सिस्टम है, ज्यादातर कचरे अटी हुई हैं। सफाई का टेंडर समय पर नहीं होने से सफाई नहीं हो पाती। कई जगह से नाले-नाली टूटे हुए हैं।
अलग सेल टीम होगी
ड्रेनेज और सीवरेज कार्य के लिए अलग से टीम होनी जरूरी है, जिसमें इस फील्ड के एक्सपर्ट व इंजीनियर हों। अभी एक ही इंजीनियर सड़क-फुटपाथ बना रहा और ड्रेनेज,सीवरेज का काम भी कर रहा है।
-317 शहरी निकाय ड्रेनेज और सीवरेज दोनों समस्या से जूझ रहे
-50 फीसदी एरिया में जलभराव की समस्या
-700 करोड़ से ज्यादा पैसा खर्च कर रहे ऐसी बदहाल सड़क सुधार में
सभी शहरों में ड्रेनेज और सीवरेज का मास्टर प्लान बनाने अनिवार्य होंगे। इस पर होमवर्क कर रहे हैं। अलग से टीम भी बनाई जाएगी, जो मॉनिटरिंग करेगी ताकि पूरे शहर में एक तरह से काम हो।
-झाबर सिंह खर्रा, नगरीय विकास एवं स्वायत्त शासन मंत्री