गैंगस्टर राजू ठेहट: शराब तस्करी से शेखावाटी का ‘सीकर बॉस’ बनने तक का सफर और उसकी मर्डर मिस्ट्री…
राजस्थान के शेखावाटी में एक नाम, जो अपराध की दुनिया का पर्याय बन गया। राजेन्द्र जाट उर्फ राजू ठेहट…कभी कॉलेज की छात्र राजनीति से शुरू हुआ उसका सफर अवैध शराब तस्करी और गैंगवार की खूनी सड़कों तक जा पहुंचा।
जयपुर। राजस्थान के शेखावाटी में एक नाम, जो अपराध की दुनिया का पर्याय बन गया। राजेन्द्र जाट उर्फ राजू ठेहट…कभी कॉलेज की छात्र राजनीति से शुरू हुआ उसका सफर अवैध शराब तस्करी और गैंगवार की खूनी सड़कों तक जा पहुंचा।
3 दिसंबर 2022 को सीकर की पिपराली रोड पर राजू ठेहट की जिंदगी का अंत हुआ। आखिर कौन था राजू ठेहट? कैसे बना वो शेखावाटी का ‘सीकर बॉस’ और क्यों रची गई उसकी हत्या की साजिश? आइए, जानते हैं पत्रिका की विशेष क्राइम सीरीज में…
छात्र राजनीति से अपराध की दुनिया तक
राजू ठेहट का जन्म सीकर जिले के जीणमाता धाम के पास गांव ठेहट में हुआ। 1990 के दशक में सीकर के एसके कॉलेज में पढ़ाई के दौरान उसकी मुलाकात अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता ‘गोपाल फोगावट’ से हुई। गोपाल उस समय शराब तस्करी के धंधे में गहरे पैर जमा चुका था। इधर, राजू कॉलेज में छात्र राजनीति में एक्टिव था। वह धीरे-धीरे गोपाल के प्रभाव में आ गया।
सन 1995 में राजू ठेहठ ने अपराध की दुनिया में कदम रखा और गोपाल के साथ मिलकर अवैध शराब का कारोबार शुरू किया। गैंगस्टर गोपाल फोगावट के संरक्षण में राजू का दबदबा बढ़ता गया। सन 1998 में उसने अपने दोस्त बलवीर बानूड़ा के साथ मिलकर सीकर में भोभाराम हत्याकांड को अंजाम दिया। इस हत्या ने शेखावाटी में राजू और बलवीर की बादशाहत स्थापित कर दी। दोनों ने मिलकर अवैध शराब तस्करी का ऐसा साम्राज्य खड़ा किया कि बिना उनकी मर्जी के कोई इस धंधे में कदम नहीं रख सकता था।
दोस्ती से दुश्मनी और गैंगवार की शुरुआत
राजू और बलवीर की दोस्ती शुरू में अटूट थी। बलवीर, जो पहले दूध का व्यापार करता था वह राजू के रसूख और पैसे को देखकर शराब तस्करी में कूद पड़ा। लेकिन 2004 में बलवीर के साले विजयपाल के साथ हिसाब-किताब में गड़बड़ी को लेकर राजू का विवाद हुआ।
गुस्से में राजू ने विजयपाल की हत्या कर दी। यहीं से दोस्ती दुश्मनी में बदल गई। बलवीर ने बदला लेने के लिए कुख्यात गैंगस्टर आनंदपाल सिंह से हाथ मिलाया। 2006 में बलवीर और आनंदपाल ने राजू के गुरु गोपाल फोगावट की हत्या कर दी। इस हत्याकांड ने शेखावाटी में गैंगवार की आग भड़का दी।
जेल में भी नहीं रुका खूनी खेल
2012 में पुलिस ने राजू ठेहट, बलवीर बानूड़ा और आनंदपाल सिंह को गिरफ्तार किया। आनंदपाल और बलवीर बीकानेर जेल में बंद थे, जबकि राजू सीकर जेल में। जेल में भी गैंगवार थमा नहीं। बलवीर के गुर्गे सुभाष बराल ने सीकर जेल में राजू पर जानलेवा हमला किया लेकिन राजू बच गया।
जवाब में राजू ने अपने भाई ओमप्रकाश उर्फ ओमा ठेहट और साले जयप्रकाश के जरिए बीकानेर जेल में 24 जुलाई 2014 को बलवीर बानूड़ा की हत्या करवा दी। इस हमले में आनंदपाल बाल-बाल बचा। इसके बाद आनंदपाल ने राजू को मारने की कसम खाई। लेकिन 2017 में चूरू के मालासर में पुलिस एनकाउंटर में आनंदपाल मारा गया। आनंदपाल की गैंग बिखर गई, लेकिन बदले की आग ठंडी नहीं हुई।
लग्जरी लाइफ और ‘सीकर बॉस’ का तमगा
जेल से छूटने के बाद राजू ने अपनी गैंग को और मजबूत किया। वह महंगी कारों और बाइकों का शौकीन था। जयपुर के स्वेज फार्म में उसका 3 करोड़ का आलीशान मकान था।
सोशल मीडिया पर वह रील्स बनाकर अपनी लग्जरी लाइफ और रसूख का प्रदर्शन करता था। सीकर में लोग उसे ‘सीकर बॉस’ कहने लगे। उसके फेसबुक पेज के 60 हजार फॉलोअर्स थे। जहां वह सामाजिक कार्यक्रमों में रिबन काटते दिखता था।
राजू का खौफ इतना था कि शेखावाटी में अवैध धंधे उसकी मर्जी के बिना नहीं चलते थे। वह जयपुर में सट्टा और विवादित जमीनों के कारोबार में भी उतर चुका था। लेकिन उसकी जान को खतरा भी बढ़ रहा था। उसने पुलिस से सुरक्षा मांगी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
मर्डर मिस्ट्री: दुबई से रची गई साजिश
3 दिसंबर 2022 की सुबह, सीकर के पिपराली रोड पर राजू ठेहट अपने चचेरे भाई ओमा ठेहट के घर के बाहर खड़ा था। चार हमलावरों ने कोचिंग की ड्रेस में पहुंचकर उस पर ताबड़तोड़ 25 गोलियां दागीं। राजू मौके पर ही ढेर हो गया। इस हमले में एक राहगीर जगदीश कड़वासरा भी मारा गया, जो अपनी बेटी से मिलने आया था। गैंगवार की पूरी वारदात सीसीटीवी में कैद हो गई।
रोहित गोदारा पर राजू ठेहट की हत्या का आरोप
हत्याकांड की जिम्मेदारी लॉरेंस बिश्नोई गैंग के रोहित गोदारा ने ली। उसने सोशल मीडिया पर लिखा- ये हमारे बड़े भाई आनंदपाल और बलवीर बानूड़ा की हत्या का बदला है। लेकिन असल साजिश के तार दुबई तक जुड़े थे। मामले में पुलिस ने 24 आरोपियों को गिरफ्तार किया, जिनमें शूटर नवीन मेघवाल, जतिन मेघवाल, सतीश कुम्हार, मनीष जाट और विक्रम गुर्जर शामिल थे। बीकानेर की सुधा कंवर पर शूटरों को हथियार और पैसे मुहैया कराने का आरोप लगा। लेकिन चीनू और लॉरेंस गैंग के कई बड़े नाम अब भी फरार हैं।
क्यों हुआ मर्डर?
राजू ठेहट की हत्या के पीछे 18 साल पुरानी गैंगवार की जड़ें थीं। आनंदपाल और बलवीर की हत्या ने लॉरेंस बिश्नोई गैंग और आनंदपाल की गैंग को एकजुट किया। राजू का बढ़ता रसूख और जयपुर में उसकी नई साजिशें भी दुश्मनों की आंखों में खटक रही थीं। दुबई में बैठी चीनू ने लॉरेंस गैंग के साथ मिलकर राजू को रास्ते से हटाने की ठानी। यह हत्या बदले की आग का नतीजा थी, जो शेखावाटी की गलियों में दशकों से जल रही थी।
शेखावाटी में गैंगवार का अंत?
राजू ठेहट की हत्या के बाद सीकर में तनाव फैल गया। उसके समर्थकों ने हंगामा किया, शहर बंद कराया गया। पुलिस ने नाकाबंदी कर आरोपियों को पकड़ा, लेकिन सवाल वही है। क्या यह गैंगवार का अंत है?
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