स्थानीय लोगों क्या बोले
इस सीईटीपी से रंगाई-छपाई की 892 इकाइयों को जोड़ना है, लेकिन करीब 600 इकाइयां ही सीईटीपी से जुड़ पाई हैं। शेष इकाइयों को अब तक नहीं जोड़ा गया है। वहीं, स्थानीय लोगों का कहना है कि जिन इकाइयों को सीईटीपी से जोड़ दिया गया है, उनका भी पूरा पानी सीईटीपी तक नहीं पहुंच रहा है।
यह पानी नालों के माध्यम से द्रव्यवती नदी में जा रहा है। अन्य इकाइयों का पानी भी द्रव्यवती नदी में जा रहा है। इससे नदी में केमिकल युक्त पानी जाने की समस्या अभी दूर नहीं हो पा रही है। वहीं, कुछ पानी नेवटा नहर में जा रहा है।
बंद करना पड़ा था प्रोजेक्ट
प्रदूषण नियंत्रण मंडल के अधिकारियों के अनुसार, सीईटीपी का उद्घाटन 2019 में हुआ। वर्ष 2023-24 में 195 फैक्ट्रियों को जोड़कर इस प्लांट को चालू किया गया, लेकिन विवादों के कारण यह प्रोजेक्ट बीच में बंद हो गया।
जगह और इकाइयों की संख्या
-ब्राह्मणों की ग्वार में 120
-बक्शावाला में 38
-कुमावतों की ढाणी में 28
-एलएनटी रोड में 12
डेढ़ एमएलडी ही पानी पहुंच रहा
जीरो लिक्विड डिस्चार्ज पर आधारित यह सीईटीपी करीब 12 एमएलडी का है। इसमें अभी एक से डेढ़ एमएलडी (मिलियन लीटर प्रति दिन) पानी पहुंच रहा है। सीईटीपी संचालन के लिए सांगानेर एनवायरो प्रोजेक्ट डवलपमेंट (एसईपीडी) कंपनी बना रखी है।
सांगानेर की रंगाई-छपाई की 892 इकाइयां इसकी सदस्य हैं। ये इकाइयां सीईटीपी से जुड़नी है। इकाइयों को केमिकल युक्त पानी सीईटीपी से शुद्धीकरण करने के बाद उसे फिर से उपयोग में लेना है।
गुलर के बांध क्षेत्र की 160 मीटर पाइप लाइन के पैच को जेडीए जोड़ दे तो हमें सहयोग मिलेगा। इसके लिए जेडीए को पत्र लिख रखा है। एक महीने में सभी इकाइयों को सीईटीपी से जोड़ दिया जाएगा।
-राजेंद्र जींदगर, डायरेक्टर, सांगानेर एनवायरो प्रोजेक्ट डवलपमेंट