रविकान्त ने बताया कि फिलहाल प्रदेश में प्रतिदिन लगभग 60 से 61 हजार बैरल कच्चा तेल और 3.2 मिलियन घन मीटर प्राकृतिक गैस का उत्पादन हो रहा है। उन्होंने निर्देश दिए कि उत्पादन बढ़ाने के लिए नवीनतम तकनीकों को अपनाया जाए और खोज (एक्सप्लोरेशन) कार्यों में तेजी लाई जाए।
गैस के औद्योगिक उपयोग की संभावनाएं तलाशी जाएंगी
प्रमुख सचिव ने कंपनियों को सुझाव दिया कि वे प्रदेश के सीमेंट प्लांटों विशेष रूप से जैसलमेर क्षेत्र में ग्रीन ऊर्जा के रूप में प्राकृतिक गैस के उपयोग की संभावनाएं तलाशें। इससे स्थानीय स्तर पर प्राकृतिक गैस का उपयोग बढ़ेगा और उत्पादक कंपनियों को यहीं बाजार उपलब्ध हो सकेगा। साथ ही, सीमेंट उद्योग को सस्ती और हरित ऊर्जा मिल सकेगी।
तीन प्रमुख बेसिन में उत्पादन और निवेश की नई रणनीति
बाड़मेर-सांचोर, जैसलमेर और बीकानेर-नागौर बेसिन में तेल और गैस के समृद्ध भंडार मौजूद हैं। इन क्षेत्रों में खोज और उत्पादन कार्य को बढ़ाने के लिए अत्याधुनिक तकनीकों को अपनाने पर बल दिया गया। साथ ही, स्थानीय स्तर पर सीएसआर गतिविधियों को विस्तार देने की भी बात कही गई।
यह है उत्पादन की रिपोर्ट
पेट्रोलियम निदेशक अजय शर्मा ने बताया कि राज्य में इन कंपनियों से गत वित्तीय वर्ष में 2688 करोड़ 91 लाख रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ है।राज्य में गत वर्ष 24.88 मिलियन बैरल क्रूड ऑयल व 1250.82 मिलियन घन मीटर गैस का उत्पादन हो रहा है। राजस्थान सरकार की यह पहल राज्य को ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकती है। स्थानीय उद्योगों को सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा उपलब्ध कराने के साथ-साथ राजस्व में भी उल्लेखनीय वृद्धि होगी।