छात्रसंघ चुनावों पर 2023 में लगी रोक
बता दें, 2023 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने छात्रसंघ चुनावों पर रोक लगा दी थी। तर्क दिया गया कि इन चुनावों में भारी धनबल और बाहुबल का उपयोग हो रहा है। साथ ही लिंगदोह समिति की सिफारिशों का उल्लंघन और परिसरों में हिंसा की घटनाएं बढ़ रही हैं। तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा था कि ये चुनाव विधानसभा और लोकसभा चुनावों की तरह महंगे और अनुशासित हो गए हैं। हालांकि, अब गहलोत स्वयं चुनाव बहाली का समर्थन कर रहे हैं। दूसरी ओर, सत्ता में आने के बाद भी भाजपा सरकार ने इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया, जिससे छात्रों में रोष बढ़ रहा है।
कई विश्वविद्यालयों-कॉलेजों में लगी रोक
राजस्थान के 15 सरकारी विश्वविद्यालयों, जिनमें राजस्थान विश्वविद्यालय (जयपुर), जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय (जोधपुर), मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय (उदयपुर), महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय (अजमेर) आदि शामिल हैं, के साथ-साथ 50 से अधिक सरकारी और 300 से अधिक निजी कॉलेजों में 2023-24 सत्र में चुनाव नहीं हुए। बता दें, 2024 में उच्च शिक्षा विभाग ने चुनाव का शेड्यूल जारी किया था, लेकिन अंततः नोटिफिकेशन नहीं निकाला गया। राजस्थान हाईकोर्ट ने भी छात्र नेताओं की याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिससे उनकी उम्मीदें और कमजोर हुईं।
छात्र संगठन एकजुट होकर कर रहे आंदोलन
इधर, छात्र संगठन एनएसयूआई, एबीवीपी और SFI इस मुद्दे पर एकजुट होकर आंदोलन कर रहे हैं। जयपुर में छात्र नेताओं जैसे अभिषेक चौधरी, शुभम रेवाड़ और आलोक वर्मा ने अनोखे प्रदर्शन किए, जिसमें प्रतीकात्मक मतपेटियां, नेताओं के कट-आउट और लोकतंत्र की विदाई जैसे प्रदर्शन शामिल थे। वहीं, हाल ही में जोधपुर में अभिषेक चौधरी और महेंद्र चौधरी ने छात्र चेतना यात्रा निकाली, जिसमें छात्रों ने भगवान, गांधी, और रानी लक्ष्मीबाई के वेश में जिला कलेक्टर कार्यालय तक रैली निकाली। कुछ छात्रों ने राजस्थान विश्वविद्यालय में जल समाधि और सदबुद्धि यज्ञ जैसे अनोखे विरोध प्रदर्शन किए।
नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से चुनाव बहाली की अपील की है। छात्र नेताओं का कहना है कि छात्रसंघ चुनाव न केवल छात्र हितों की रक्षा करते हैं, बल्कि युवाओं को नेतृत्व के लिए तैयार करते हैं।
4 अगस्त को बड़े आंदोलन की तैयारी
दरअसल, 2023 में उच्च शिक्षा विभाग ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, प्रवेश प्रक्रिया में देरी और 180 दिन के अध्यापन की अनिवार्यता का हवाला देते हुए चुनाव स्थगित किए थे। इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई, लेकिन याचिका खारिज हो गई। लेकिन राजस्थान हाईकोर्ट में अब फिर से छात्रसंघ चुनावों को लेकर याचिका लगाई गई है, जिस पर आने वाले समय में सुनावाई होगी। वहीं, छात्र संगठन 4 अगस्त, 2025 को जयपुर में विधानसभा घेराव की तैयारी कर रहे हैं। क्या सरकार इस बढ़ते आंदोलन के दबाव में कोई बड़ा फैसला लेगी? ये सवाल अभी भी बना हुआ है।