अब तक 1500 मतदाताओं तक के लिए एक मतदान केंद्र बनाने की छूट थी, लेकिन अब एक मतदान केंद्र पर अधिकतम 1200 ही मतदाता हो सकेंगे। इसको लेकर निर्वाचन आयोग ने हाल ही निर्णय किया, जिस पर राज्य में जिलों से लेकर मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय तक मंथन शुरू हो गया। वर्तमान में 52 हजार 469 मतदान केंद्र हैं। निर्वाचन से जुड़े अधिकारियों के अनुसार प्रदेश के 20 से 25 प्रतिशत मतदान केंद्रों पर मतदाताओं की संख्या 1200 से 1500 के बीच है। इन मतदान केंद्रों का पुनर्गठन किया जाएगा। ऐसे में पुनर्गठन के बाद प्रदेश में मतदान केंद्रों की संख्या बढ़ना तय माना जा रहा है।
4 विधानसभा क्षेत्रों में औसतन 1200 से ज्यादा मतदाता
चुनाव विभाग के आंकड़ों के अनुसार बीकानेर पूर्व व पश्चिम, विद्याधरनगर व भीलवाड़ा विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जहां प्रति मतदान केंद्र औसतन 1200 से ज्यादा मतदाता हैं। इनके अलावा झोटवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में भी यह आंकड़ा 1192 है। निर्वाचन आयोग ने सभी मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को स्थानीय मतदाता कर्मचारियों को ही बीएलओ लगाने के निर्देश दिए हैं। स्थानीय निर्वाचन अधिकारियों से कहा जाएगा कि पहले उसी क्षेत्र के मतदाता राज्य सरकार या स्थानीय निकाय के कर्मचारी को ही बीएलओ की जिम्मेदारी सौंपी जाए। ऐसा कर्मचारी नहीं मिलने पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, संविदाकर्मी शिक्षक व केन्द्रीय कर्मचारियों को भी बीएलओ लगा सकेंगे। इनके भी नहीं मिलने पर मुख्य निर्वाचन अधिकारी की अनुमति लेकर मतदाता सूची वाले क्षेत्र में कार्यरत किसी कर्मचारी को भी बीएलओ लगा सकेंगे।
निर्वाचन आयोग के दिशा-निर्देश मिलने के बाद जिला स्तर पर निर्देश दे दिए। जिलों में मतदान केंद्रों के पुनर्गठन की प्रक्रिया शुरू हो गई है, लेकिन अभी प्रारम्भिक स्तर पर कार्य हो रहा है। पहले दौर का कार्य पूरा होने पर पता चल सकेगा कि पुनर्गठन के दायरे में कितने मतदान केंद्र आएंगे।
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नवीन महाजन, मुख्य निर्वाचन अधिकारी, राजस्थान