केन्द्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय ने पिछले दिनों एक सूची जारी की है, जिसमें बताया गया है कि देश में 2014 के बाद से करीब 683 राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाएं समय पर पूरी नहीं हो सकी। देरी के मामले में महाराष्ट्र पहले नंबर पर है। यहां करीब 76 राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाएं समय पर पूरी नहीं हो सकी हैं। राजस्थान सड़क परियोजनाओं में देरी के मामले में दसवें स्थान पर है।
राजस्थान की ये प्रमुख परियोजनाएं अधूरी – दिल्ली-मुम्बई एक्सप्रेस-वे से जयपुर को जोड़ने के लिए 67 किलोमीटर का लिंक एक्सप्रेस-वे बनाया जा रहा है, जो बांदीकुई के पास एक्सप्रेस से जुड़ेगा। इस एक्सप्रेस का काम नवम्बर, 2024 तक पूरा किया जाना था, लेकिन छह माह ऊपर निकल गए। काम अभी भी पूरा नहीं हुआ।
– दिल्ली-मुम्बई एक्सप्रेस-वे को भी पहले 2024 की शुरुआत तक पूरा करने का टारगेट रखा गया था। कोटा से झालावाड़ के बीच टनल का काम अब इस साल के अंत तक या फिर अगले साल की शुरुआत में पूरा होने की उम्मीद है।
– जयपुर से गुरुग्राम के बीच छह लेन सड़क, जिसका निर्माण का काम 2011 में पूरा हो जाना चाहिए था। इस सड़क का निर्माण कार्य आज तक पूरा नहीं हो सका है। – किशनगढ़ से नसीराबाद के बीच छह लेन हाईवे पर श्रीनगर कस्बे में एक ओवरब्रिज का काम कई सालों से अटका हुआ है। यह हाईवे उदयपुर तक पूरा बन चुका है, लेकिन ये ओवरब्रिज नहीं बन सका।
ये बताए परियोजनाओं में देरी के कारण मंत्रालय की ओर से जो सूचना दी गई है उसके मुताबिक राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं में देरी के प्राथमिक कारण भूमि अधिग्रहण, वैधानिक मंजूरी, उपयोगिता स्थानांतरण, अतिक्रमण हटाना, कोविड-19 महामारी, भारी वर्षा, बाढ़, चक्रवात आदि बताए गए हैं।
दावा लागत नहीं बढ़ती, लेकिन… ये पूरा सच नहीं केन्द्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय के मुताबिक सभी लंबित परियोजनाओं में लागत वृद्धि का सामना नहीं करना पड़ता। वहीं, सड़क परियोजनाओं से जुड़े इंजीनियरों का कहना है कि देरी होने पर लागत में बढ़ोतरी होती ही है। चाहे फिर उसकी लागत मंत्रालय भुगते या फिर ठेका फर्म।