कृषि मंत्री ने बताया कि अमानक बीज और खाद की जमाखोरी व कालाबाजारी रोकने के लिए उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 और आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 के अंतर्गत दोषियों पर लाइसेंस निलंबन, बिक्री पर रोक और जब्ती जैसे कड़े कदम उठाए जा रहे हैं। बैठक में उन्होंने कृषि विभाग को निर्देश दिए कि किसानों की शिकायतों के त्वरित समाधान के लिए एक पृथक कॉल सेंटर बनाया जाए, जिससे ग्रामीण अंचल के किसान भी आसानी से अपनी बात सरकार तक पहुंचा सकें।
डॉ. मीणा ने किसानों को जागरूक करते हुए कहा कि अमानक बीज अक्सर असली जैसे दिखते हैं, लेकिन इनकी अंकुरण दर कम होती है, जिससे उत्पादन प्रभावित होता है। किसानों को केवल प्रमाणित बीज ही खरीदने चाहिए, जो बीज अधिनियम 1966 के अंतर्गत पंजीकृत हों। बीज खरीदते समय “सर्टिफाइड सीड” का निशान, अंकुरण दर, लाइसेंस नंबर और वैधता तिथि अवश्य देखें।
सरकार ने किसानों की सुविधा के लिए ‘ई-नाम’, ‘आई-कृषि पोर्टल’ और ‘बीज निगरानी प्रणाली’ जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म शुरू किए हैं, जिनसे किसान प्रमाणित बीजों की जानकारी ले सकते हैं और शिकायत भी दर्ज कर सकते हैं।
किसान सजग तो बच सकते हैं नकली बीजों से
कृषि मंत्री ने कहा कि किसान यदि सजग रहें, तो वे न केवल नकली बीजों से बच सकते हैं, बल्कि अपनी फसल का अधिकतम उत्पादन सुनिश्चित कर सकते हैं। सरकार उनके साथ है — उनके हितों की रक्षा करना ही हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। साथ ही मंत्री ने अपील की कि अमानक बीज बेचने वालों की सूचना तुरंत कृषि विभाग या पुलिस को दी जाए ताकि कड़ी कार्रवाई की जा सके।