कजोड़मल और विष्णु बने आदर्श सीकर के खंडेला निवासी 46 वर्षीय कजोड़मल एक सडक़ हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गए। 27 दिसंबर 2022 को जयपुर के सवाई मानसिंह (एसएमएस) अस्पताल में भर्ती होने के बाद उन्हें ब्रेन डेड घोषित किया गया। उनके परिजनों ने भावनात्मक निर्णय लेते हुए उनके अंग दान किए। कजोड़मल की दोनों किडनी, लीवर और हार्ट ने चार लोगों को नया जीवन दिया।
इसी तरह, झालावाड़ के विष्णु एक झगड़े में घायल होकर ब्रेन डेड हो गए। उनके परिजनों ने डॉक्टरों की सलाह पर अंगदान का फैसला किया। विष्णु का हार्ट और फेफड़े जयपुर के एसएमएस अस्पताल में एक मरीज को प्रत्यारोपित किए गए, जबकि उनकी एक किडनी और लीवर जोधपुर एम्स में दो अन्य मरीजों को जीवनदान दे गए। ये कहानियां दर्शाती हैं कि अंगदान मृत्यु के बाद भी जीवन की उम्मीद जगा सकता है।
राजस्थान का अंगदान में अग्रणी योगदान राजस्थान अंगदान की मुहिम में देश का सिरमौर बन चुका है। नोटो के 2024 के आंकड़ों के अनुसार, राष्ट्रीय स्तर पर 1,29,615 रजिस्ट्रेशनों में से 28,573 राजस्थान से हैं, जो इसे शीर्ष पर रखता है। इसके बाद महाराष्ट्र (24,862) और मध्य प्रदेश (20,247) हैं। 2024 में देशभर में किडनी (92,725), लीवर (88,217), हार्ट (88,007) और कॉर्निया (96,426) के लिए सबसे अधिक रजिस्ट्रेशन हुए। राजस्थान सरकार और सामाजिक संगठनों के जागरूकता अभियानों ने इस उपलब्धि को संभव बनाया।
राजस्थान को मिले दो राष्ट्रीय सम्मान भारतीय अंगदान दिवस पर राजस्थान को दो राष्ट्रीय पुरस्कार—‘इमर्जिंग स्टेट इन ऑर्गन डोनेशन एंड ट्रांसप्लांटेशन’ और ‘एक्सीलेंस इन प्रमोशन ऑफ ऑर्गन डोनेशन’—से सम्मानित किया गया। यह सम्मान राजस्थान की मानवता और संकल्प का प्रतीक है। एक अंगदाता 8 लोगों का जीवन और 75 से अधिक लोगों को ऊतक दान से लाभ पहुंचा सकता है। हालांकि, जागरूकता और बुनियादी ढांचे की चुनौतियां अभी भी बाकी हैं, लेकिन राजस्थान की यह यात्रा हर दिल को प्रेरित करती है।