एफपीओ और वीसीपी के माध्यम से सहायतायोजना के तहत किसानों को एफपीओ (किसान उत्पादक संगठन) और वैल्यू चेन पार्टनर (वीसीपी) के माध्यम से सहायता दी जाएगी। किसानों का चयन, मिट्टी परीक्षण, बीज वितरण, उत्पादन से लेकर प्रोसेसिंग तक की जिम्मेदारी वीसीपी द्वारा निभाई जाएगी। वीसीपी के प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजे जा चुके हैं।योजना में मिलेगा वित्तीय सहयोग
पोस्ट हार्वेस्ट इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास ेक लिए एफपीओ, सहकारी संस्थाओं एवं निजी कंपनियों को मशीन लागत का 33 प्रतिशत या अधिकतम 9.90 लाख रुपए तक की सहायता प्रदान की जाएगी। इसके साथ ही किसानों को उन्नत बीज, शीघ्र पकने वाली किस्में, आधुनिक तकनीक एवं प्रदर्शन प्लॉट्स के माध्यम से जागरूक किया जाएगा।
योजना के क्रियान्वयन में डिजिटल तकनीक का भी प्रयोग किया जाएगा। आगामी पांच वर्षों के लिए बीज उत्पादन की रूपरेखा तैयार की जा रही है और बीज भंडारण इकाइयों की स्थापना की योजना भी बनाई गई है। आगामी 5 वर्षों का सीड रोलिंग प्लान तैयार कर बीज उत्पादक एजेंसी के साथ तीन वर्षों का अनुबंध किया जाएगा। बीज हब तथा विशेष भंडारण इकाइयों (सोयाबीन एवं मूंगफली) की स्थापना की जाएगी। परियोजना के क्रियान्वयन के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकी का भी प्रयोग किया जाएगा।
संयुक्त निदेशक कृषि महेन्द्र जैन ने बताया कि तिलहन फसलों को बढ़ावा देने का कार्य एफपीओ व सहकारी संस्था के माध्यम से होगा। इसके लिए 15 मई तक एफपीओ/सहकारी संस्था आवेदन कर सकेंगे। योजना के क्रियान्वयन को लेकर कृषि विभाग ने कार्य शुरू कर दिया है। जिले में सरसों फसल को शामिल किया गया है। उन्होंने जिले के सरसों उत्पादक किसानों से योजना से अधिकाधिक संख्या में जुडऩे का आह्वान किया।
बैठक में अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी महेंद्र सैनी, सिंचाई व सहकारिता विभाग के अधिकारी सहित संबंधित विभागों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।