रीट परीक्षा 2024 के परिणाम को लेकर आई बड़ी खबर, अब लाखों परीक्षार्थियों का खत्म होने जा रहा इंतजार
जटिल कहने का मतलब यह है कि जो महिलाएं होती है, वह आसानी से अपना मिल्क डोनेट नहीं करती है। कई महिलाओं में बच्चा दूध अपनी जरूरत के हिसाब से पीता है। बाकी दूध वेस्ट होता है। इस दूध को डोनेट करने के लिए जब महिलाओं को कहा जाता है तब उन्हें लगता है कि यह तो उनके बच्चे के हिस्से का दूध है। वह इस दूध को डोनेट क्यों करे।महिलाओं को झेलनी पड़ती है यह परेशानियां…
मां बनने के बाद स्तनपान एक नेचुरल प्रोसेस है। अधिकांश मां धीरे-धीरे बच्चे को सही तरह से ब्रेस्टफीड कराना सीख जाती हैं, लेकिन हर मां और बच्चे के साथ ऐसा नहीं होता है। कभी बच्चे के सामान्य से अलग होने तो कभी मां को किसी तरह की समस्या होने की वजह से बच्चे को बेस्टफीडिंग कराने में दिक्कत आती है। वह सामान्य तरीके से स्तनपान नहीं करा पाती हैं। इस दौरान मदर मिल्क बैंक में काम करने वाली काउंसलर उनकी मदद करती है।इसलिए मदर मिल्क बैंक की जरूरत..
कई महिलाएं बच्चों को जन्म देती है। उसके बाद उनकी मौत हो जाती है। इसके अलावा कई प्रसूताएं संक्रमण की चपेट में आ जाती है। ऐसे में यह माँ कुछ चिकित्सकीय कारणों से अपने बच्चे को स्तनपान नहीं करा पाती है। ऐसे कई बच्चे हैं, जो इसी तरह की समस्याओं से जूझ रहे हैं। इन्ही बच्चों की जरूरत को मदर मिल्क बैंक के जरिए पूरा किया जाता है।तीन तरह का होता है मदर मिल्क ..
फोर मिल्क – मां के शुरुआत में जो दूध आता है उसे फोरमिल्क कहते हैं। जिसमें अमीनो एसिड, प्रोटीन और विटामिन ज्यादा होते हैं। मिड मिल्क – मिड मिल्क में फैट और कार्बोहाइड्रेट होते हैं।इनका कहना है..
महिलाओं में कई तरह की भ्रांतियां होती है। किसी को लगता है कि वह मिल्क डोनेट करने से कमजोर हो जाएगी तो किसी को कुछ। ऐसे में बहुत समझाइस करते है। तब जाकर कई महिला मिल्क डोनेट के लिए तैयार होती है।लैक्टेशन काउंसलर, जेके लोन, जयपुर