दरअसल, एमडी चौपदार लंबे समय से कांग्रेस पार्टी के साथ जुड़े हुए हैं और झुंझुनूं जिले में उनका मजबूत जनाधार है। वे राजस्थान मदरसा बोर्ड के चेयरमैन के रूप में भी अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहे हैं। चौपदार ने झुंझूनूं विधानसभा सीट से कांग्रेस के टिकट की मांग की थी, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला।
झुंझुनूं से की थी टिकट की दावेदारी
इसके अलावा, हाल ही में हुए उपचुनाव में भी उन्होंने टिकट की दावेदारी पेश की थी, लेकिन पार्टी ने अन्य उम्मीदवार को प्राथमिकता दी। टिकट न मिलने के बाद उनकी नाराजगी की खबरें भी सामने आई थीं। हालांकि, इस नई जिम्मेदारी के बाद माना जा रहा है कि पार्टी ने उनकी नाराजगी को दूर करने और उनके योगदान को सम्मान देने का प्रयास किया है। बताया जा रहा है कि चौपदार की नियुक्ति को अल्पसंख्यक समुदाय के बीच कांग्रेस की पैठ बढ़ाने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है। राजस्थान में अल्पसंख्यक मतदाता, खासकर मुस्लिम समुदाय, कांग्रेस का पारंपरिक वोट बैंक रहा है। ऐसे में चौपदार का अनुभव और क्षेत्र में उनकी लोकप्रियता पार्टी के लिए लाभकारी साबित हो सकती है।
कांग्रेस पार्टी में बढ़ेगा प्रभाव
गौरतलब है कि चौपदार की इस नियुक्ति से झुंझूनूं और आसपास के क्षेत्रों में कांग्रेस की स्थिति को और मजबूती मिलने की उम्मीद है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह नियुक्ति न केवल चौपदार की नाराजगी को शांत करने का प्रयास है, बल्कि पार्टी की रणनीति का हिस्सा भी है, जिसके तहत अल्पसंख्यक वोटों को एकजुट करने पर जोर दिया जा रहा है।