बता दें कि प्रकाशित समाचार के बाद जिला आबकारी अधिकारी देविका तोमर ने कहा कि संबंधित थानेदारों से रिपोर्ट मांगी गई है। उन्होंने बताया कि दो दिन बाद इस संबंध में अभियान शुरू किया जाएगा। इस कार्रवाई के लिए अलग-अलग टीमें गठित की जा रही हैं।
उप महापौर ने भी जताई नाराजगी
जयपुर ग्रेटर नगर निगम के उप महापौर पुनीत कर्नावट ने जिला आबकारी अधिकारी को पत्र लिखकर देर रात तक चल रही शराब की बिक्री पर रोक लगाने की मांग की है। कर्नावट ने कहा कि आबकारी विभाग को लगातार इस विषय में अवगत कराने के बावजूद दुकानों को देर रात बंद नहीं करवाया जा रहा।
आठ बजे के बाद बिक्री पर रोक का था आदेश
प्रशासन ने रात 8 बजे के बाद बिक्री पर रोक का आदेश दिया था, लेकिन असलियत यह है कि नियमों का शटर तो गिरता है, पर धंधे की मशीनरी और भी तेजी से चालू हो जाती है। गलियों से लेकर मेन रोड तक ठेकेदार खुलेआम कानून को अंगूठा दिखा रहे हैं और पुलिस-प्रशासन आंखें मूंदकर देख रहा है, जैसे ये ‘काले कारोबार’ की नहीं, बल्कि ‘रात की सुविधा’ की नई सरकारी सेवा हो।
उप महापौर ने लिखा था पत्र
हाल ही में नगर निगम ग्रेटर उप महापौर पुनीत कर्णावट ने जयपुर आबकारी अधिकारी को पत्र लिखकर बताया था कि नागरिकों की शिकायतें लगातार आ रही हैं कि शराब ठेकों पर देर रात तक धड़ल्ले से बिक्री जारी है। कुछ दुकानें तो रात 1-2 बजे तक खुली रहती हैं। पत्र की प्रति आबकारी आयुक्त उदयपुर, जयपुर जिला कलेक्टर और पुलिस कमिश्नर को भी भेजी गई, लेकिन नतीजा वही ‘ढाक के तीन पात’ कोई कार्रवाई नहीं हुई।
कानून को ठेंगा, आधी रात तक बेधड़क बिक रही शराब
राजधानी में कानून की धज्जियां किस कदर उड़ रही हैं, इसका नज़ारा गोपालपुरा पुलिया और आसपास के इलाकों में देर रात खुलेआम देखा जा सकता है। आधी रात को जब एक ठेके के सेल्समैन से पूछा गया, “कानून का डर नहीं?” तो वो हंसते हुए बोला, “कभी भी आओ, माल ले जाओ, डर कैसा? पूरी रात मिलेगा।” यही बयान बताने को काफी है कि नियम-कायदों की जगह अब रसूख और क्यूआर कोड ने ले ली है।
गोपालपुरा पुलिया के पास स्थित दो ठेकों पर रात 12 बजे तक धड़ल्ले से शराब की बिक्री होती रही। ग्राहक आए, क्यूआर स्कैन किया, शटर पर दस्तक दी और बोतल लेकर चलते बने। दुकानों के बाहर लिखा ‘समय-सीमा’ सिर्फ दिखावे के लिए है। वास्तव में, कानून का अस्तित्व इन ठेकों के बाहर ही दम तोड़ चुका है।
थाने के पास भी खुली चुनौती
मोतीडूंगरी थाने से महज 100 मीटर की दूरी पर खुलेआम शराब बिक रही थी। पुलिस की मौजूदगी के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। पंचवटी सर्कल और यूनिवर्सिटी के पीछे के इलाकों में भी यही हालात हैं। ठेके रातभर खुले रहते हैं, और जिम्मेदार चुप्पी साधे हुए हैं।
आरटीओ चौराहा से झालाना तक ‘नाइट ऑपरेशन’
रात 10 बजे आरटीओ चौराहा से झालाना डूंगरी तक के ठेकों पर ऐसा नज़ारा था, जैसे कोई मयखाना चल रहा हो। ग्राहकों के लिए शटर में एक खास ‘सुविधा छिद्र’ बनाया गया है, जिसमें से बोतलें सरकाई जाती हैं। बारकोड स्कैन कर ग्राहक पैसा जमा करते हैं और माल बाहर निकल आता है। ठेके के अंदर-बाहर कर्मचारी इस पूरे गोरखधंधे को बेहद ‘प्रोफेशनल’ तरीके से अंजाम दे रहे हैं।