राजस्थान अब भी सौर ऊर्जा के मामले में सबसे आगे है। लेकिन पवन ऊर्जा और रूफटॉप सोलर प्रोजेक्ट्स में पीछे रह जाने से उसे कुल रैंकिंग में नुकसान हुआ है। गुजरात ने इन दोनों क्षेत्रों में शानदार प्रदर्शन किया है, जिससे उसकी कुल क्षमता राजस्थान से आगे निकल गई।
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रूफटॉप सोलर में भी राजस्थान पीछे
राजस्थान सरकार ने 2025-26 के बजट में घोषणा की थी कि 1.1 किलोवाट क्षमता वाले रूफटॉप सोलर प्लांट पर 17,000 रुपये की सब्सिडी दी जाएगी। इस क्षमता का प्लांट करीब 50,000 रुपये का आता है। केंद्र सरकार पहले ही 33,000 रुपये की सब्सिडी दे रही है। लेकिन राज्य सरकार की सब्सिडी योजना वित्त विभाग में अटकी हुई है, जिससे 5 लाख घरों तक सोलर प्लांट पहुंचाने का लक्ष्य अधूरा रह गया है।
उद्योग का सरकार पर सवाल
अक्षय ऊर्जा संघ राजस्थान (आरईएआर) के अध्यक्ष अजय यादव का कहना है कि अगर राज्य सरकार समय पर सब्सिडी लागू करती तो राजस्थान भी रूफटॉप सोलर में गुजरात के करीब होता। उन्होंने कहा, राज्य में नीति बनाने की धीमी प्रक्रिया से योजनाएं अटक रही हैं। गुजरात ने बिना किसी अतिरिक्त सब्सिडी के अच्छा प्रदर्शन किया है, जबकि राजस्थान पीछे रह गया है।
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पवन ऊर्जा में रणनीति का अभाव
विशेषज्ञों का मानना है कि राजस्थान सिर्फ सौर ऊर्जा पर निर्भर रहा है। जबकि पवन ऊर्जा को लेकर कोई खास रणनीति नहीं बनाई गई। यही वजह है कि गुजरात ने पवन और सौर दोनों क्षेत्रों में संतुलन बनाकर राजस्थान को पछाड़ दिया।
ऐसे में अगर राजस्थान को फिर से नंबर वन बनना है तो उसे पवन ऊर्जा और रूफटॉप सोलर पर गंभीरता से काम करना होगा। साथ ही बजट में घोषित सब्सिडी योजनाओं को तुरंत लागू करना होगा। ताकि लोग सोलर प्लांट लगवाने के लिए प्रेरित हों और राज्य की क्षमता बढ़े।