बता दें कि योजना के तहत सरकार हर साल 24,000 करोड़ रुपए खर्च करेगी और यह 2025-26 से शुरू होकर छह साल तक लागू रहेगी। इस योजना का उद्देश्य देश के 100 ऐसे जिलों के किसानों की मदद करना है, जहां कृषि उत्पादकता अपेक्षाकृत कम है।
योजना से 1.7 करोड़ किसानों को फायदा मिलने का अनुमान है। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि इस योजना के जरिए फसल उत्पादन बढ़ाने, विविधता लाने, सिंचाई और भंडारण सुविधाओं में सुधार के साथ-साथ सस्ता कृषि ऋण उपलब्ध कराने जैसे प्रयास किए जाएंगे।
कैसे चुने जाएंगे 100 जिले?
-कृषि उत्पादकता कम होना
-कृषि ऋण वितरण का स्तर कम होना
-फसली तीव्रता कम होना
प्रत्येक राज्य से कम से कम एक जिले को शामिल किया जाएगा। जिलों की संख्या संबंधित राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के नेट क्रॉप्ड एरिया और ऑपरेशनल होल्डिंग के अनुपात के अनुसार तय की जाएगी। योजना की प्रगति पर 117 संकेतकों के आधार पर नजर रखी जाएगी और एक केंद्रीकृत डैशबोर्ड के माध्यम से निगरानी की जाएगी।
11 मंत्रालयों की योजनाओं का होगा समन्वय
इस योजना के अंतर्गत 11 मंत्रालयों की 36 योजनाओं को एकीकृत किया जाएगा, ताकि जमीनी स्तर पर समन्वित प्रयास किए जा सकें और इन जिलों में सार्वांगीण कृषि विकास सुनिश्चित किया जा सके।