आत्मनिर्भर बनाने के लिए चल रहा काम
केन्द्रीय सार्वजनिक उपक्रमों के साथ 2.30 लाख करोड़ रुपए के एमओयू हुए हैं, जिनसे 45 हजार मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य है। अनुबंध के तहत 50 प्रतिशत हिस्सा मिलता है तो भी 22 हजार मेगावाट से ज्यादा बिजली मिलेगी।
लंबी अवधि के अनुबंध पर निगम का तर्क
1000 मेगावाट सौर ऊर्जा कार्यालयों की छत पर लगने वाले सोलर प्लांट से1500 मेगावाट बिजली पीएम सूर्यघर रूफटॉप सोलर से
12000 मेगावाट बिजली कुसुम ए व सी के जरिए सोलर प्लांट से, इसमें से 6288 मेगावाट के कार्यादेश जारी हो चुके हैं।

इनसे अनुबंध…
7580 मेगावाट- राज्य विद्युत उत्पादन निगम1080 मेगावाट- राजवेस्ट
1320 मेगावाट- अडानी
250 मेगावाट- नेवेली लिग्नाइट
इसलिए बैकफुट पर
निगम अधिकारियों ने केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि प्रदेश में बिजली की मांग तेजी से बढ़ रही है। केवल अक्षय ऊर्जा पर निर्भर रहना पर्याप्त नहीं है, क्योंकि इन स्रोतों से 24 घंटे स्थिर आपूर्ति सुनिश्चित नहीं की जा सकती। इसलिए बिजली की नियमित आपूर्ति के लिए थर्मल पावर प्लांट जरूरी है। इनकी स्थापना में बड़ा निवेश होता है, इसलिए लम्बी अवधि के लिए अनुबंध जरूरी हो जाते हैं।