कोचिंग की दुनिया, परीक्षा का दबाव और खुद को बेहतर साबित करने की चुनौती होती है। ये सब मिलकर एक डॉक्टर की नींव रखते हैं। एमबीबीएस की पढ़ाई और इंटर्नशिप उसे किताबों से हकीकत तक लाती है।
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पीजी और सुपर-स्पेशलाइजेशन की राह कठिन
मरीजों के दर्द को महसूस करना, उनके जीवन से जुड़ना और सीमित संसाधनों में भी समाधान खोजना। पीजी और सुपर-स्पेशलाइजेशन की राह और कठिन होती है। उसमें भले ही नींद की कमी, सीखते रहने का दबाव रहता है, फिर भी हर चुनौती के बीच डॉक्टर मुस्कुराता रहता है। क्योंकि उसके लिए यह पेशा नहीं, एक समर्पण है।
(जैसा डॉ. भरत पारीक, एमडी बायोकैमिस्ट्री, एसएमएस मेडिकल कॉलेज, जयपुर, एग्जीक्यूटिव मेंबर जार्ड ने बताया)
जीने की उम्मीद भी देता है चिकित्सक)
यों समझें कि एक डॉक्टर को अपनी पहचान बनाने में जीवन के 2-3 दशक तक लग जाते हैं। ऐसे में डॉक्टर डे हमें याद दिलाता है कि हर डॉक्टर के पीछे एक लंबी संघर्ष गाथा छिपी होती है। डॉक्टर वह न सिर्फ रोग दूर करता है, बल्कि लोगों को जीने की उम्मीद भी देता है। इस विशेष दिन उन सभी डॉक्टरों का साधुवाद, जिनकी मेहनत, संवेदना और समर्पण ने अनगिनत जिंदगियों को बचाया और संवारने का काम किया।