बैठक में पशुपालन विभाग के शासन सचिव डॉ. समित शर्मा, एसीबी के डीआईजी अनिल कयाल, गोपालन विभाग के निदेशक प्रहलाद राय नागा, संयुक्त निदेशक डॉ. मनोज कुमार शर्मा सहित विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।
बैठक में बताया गया कि जिला कलेक्टर के निर्देश पर पहले चरण में 12 गौशालाओं की जिला स्तरीय समिति और गोपालन विभाग द्वारा जांच की गई थी। दो अलग-अलग जांचों में इन गौशालाओं में गंभीर अनियमितताओं की पुष्टि हुई, जिसके बाद मामला ACB को सौंपा गया। जांच में यह सामने आया कि इन संस्थानों ने गौवंश की गलत संख्या दर्शाकर अनुदान राशि का दुरुपयोग किया। एसीबी ने अपनी रिपोर्ट में इन गड़बड़ियों की पुष्टि की, जिसके बाद इन गौशालाओं की अनुदान राशि पर रोक लगा दी गई।
अब जिला स्तर पर हुई जांच में 15 और गौशालाओं में भी गड़बड़ियां सामने आई हैं, जिन्हें अब भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो जांचेगा। मंत्री जोराराम कुमावत ने साफ कहा कि गौवंश की गलत जानकारी देकर अनुदान प्राप्त करना गंभीर अपराध है। अब तक कुल 27 गौशालाओं को अपात्र घोषित कर उन्हें ब्लैकलिस्ट किया जा चुका है। इस कार्यवाही से विभाग ने लगभग 12 करोड़ रुपये की राशि की बचत की है।
इसके अतिरिक्त मंत्री कुमावत ने पशुपालन विभाग की भी समीक्षा की। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि पशु परिचर भर्ती प्रक्रिया में तेजी लाई जाए, मंगला पशुधन बीमा योजना में नए पंजीकरण हों और मोबाइल वेटनरी यूनिट का संचालन और अधिक प्रभावी तरीके से हो। साथ ही नए वेटनरी कॉलेज तथा पशुधन निरीक्षक डिप्लोमा कॉलेज की स्थापना से संबंधित कैबिनेट सब-कमेटी के निर्णयों को शीघ्र लागू करने के निर्देश दिए।
सरकार का यह कदम प्रदेश में पारदर्शिता बढ़ाने और सरकारी योजनाओं का सही लाभ पात्र संस्थानों तक पहुंचाने की दिशा में एक बड़ा प्रयास माना जा रहा है।