दरअअसल, घोघरा की यह ताजपोशी पार्टी के ‘मिशन वागड़’ का हिस्सा मानी जा रही है, जिसके जरिए कांग्रेस बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़ और आसपास के क्षेत्रों में भारत आदिवासी पार्टी (BAP) की बढ़ती पकड़ को रोकना चाहती है।
घोघरा को डैमेज कंट्रोल का जिम्मा
बताते चलें कि गणेश घोघरा का क्षेत्र डूंगरपुर पिछले कुछ वर्षों में BAP के लिए उभरता गढ़ बन गया है। 2023 विधानसभा चुनावों में इस पार्टी ने कई आदिवासी इलाकों में कांग्रेस की जड़ों को हिला दिया था। अब घोघरा को न सिर्फ इन इलाकों में पार्टी को फिर से मजबूत करने का दायित्व सौंपा गया है, बल्कि BAP के प्रभाव को सीमित करने का भी रणनीतिक टास्क दिया गया है। ‘मिशन वागड़’ के केंद्र में घोघरा
बता दे, वागड़ क्षेत्र- जिसमें डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़ और उदयपुर ग्रामीण शामिल हैं, राजस्थान की सत्ता की चाबी माने जाते हैं। प्रदेश की राजनीति में एक कहावत प्रचलित है- ‘जो पार्टी वागड़ जीतती है, वही सरकार बनाती है।’ इसी को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस ने ‘मिशन वागड़’ के तहत आदिवासी नेतृत्व को मजबूत करने का फैसला किया है और घोघरा की नियुक्ति उसी दिशा में बड़ा कदम है।
दो बार जीत चुके विधायकी
गणेश घोघरा 2018 और 2023 दोनों विधानसभा चुनावों में डूंगरपुर से विधायक चुने गए हैं। वे पूर्व में राजस्थान युवा कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष (2020-2023) रह चुके हैं और वर्तमान में कांग्रेस के प्रदेश महासचिव और AICC सदस्य भी हैं। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत NSUI से की और बहुत कम समय में छात्र राजनीति से निकलकर प्रदेश स्तर के प्रभावशाली नेता बन गए। उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का करीबी माना जाता है।
घोघरा को बधाइयों का सिलसिला जारी
घोघरा की नियुक्ति पर कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें बधाई दी है। पूर्व सीएम अशोक गहलोत, प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने उन्हें आदिवासियों की आवाज बताया। डोटासरा ने सोशल मीडिया पर लिखा कि घोघरा संगठन को जमीनी स्तर पर और मजबूत करेंगे। गौरतलब है कि घोघरा को जुलाई 2020 में उस समय युवा कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया था, जब राजस्थान में सियासी संकट चल रहा था। उस समय उन्होंने पार्टी के पक्ष में संगठन को एकजुट रखने में अहम भूमिका निभाई थी।