सुबह पार्कों के आस-पास, खाली सड़कों पर सैकड़ों लोग साइकिल चलाते मिल जाते हैं। राजधानी में अनगिनत लोग तेज भाग रही दुनिया में सुबह की शुुरुआत एक धीमी सवारी से कर रहे हैं। इससे होने वाले फायदों को लोग समझ रहे हैं और न सिर्फ खुद बल्कि बच्चों को भी मोटिवेट कर रहे हैं।
कभी सामान्य सी नजर आने वाली साइकिल अब इलेक्ट्रिक हो गई है। बाजार में 3000 से लेकर 50 हजार रुपए तक की साइकिलें बिक रही हैं। खास-खास -50 लाख लोगों की जान वायु प्रदूषण के कारण हर साल जाती है विश्व भर में (संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार)
-81 फीसदी शहरी आबादी ऐसी जगह रहती है जहां की वायु गुणवत्ता मानकों के नहीं है अनुरूप (विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार) -30 मिनट साइकिल चलाने से मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग और मोटापा जैसी बीमारियां 40 फीसदी तक कर सकते हैं कम (विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार) सड़कों पर साइकिल चलाना असुरक्षित, बनें साइकिल लेन
बनें साइकिल लेन जयपुर की चौड़ी सड़कों को देखते हुए शहर साइकिलिंग के लिए अनुकूल है। लेकिन, वास्तविकता इससे दूर है। सुबह सात बजे के बाद जब ट्रैफिक बढ़ने लगता है साइकिल चलाना असुरक्षित हो जाता है। जेएलएन मार्ग जैसे कुछ मुख्य मार्ग तुलनात्मक रूप से सुरक्षित हैं। वहीं, टोंक रोड, महल रोड, अजमेर रोड, झोटवाड़ा रोड जैसी सड़कें भारी ट्रैफिक और आधारभूत संरचना की कमी के कारण साइकिल चालकों के लिए खतरनाक हैं। गुलाबी नगर में समर्पित साइकिल लेन की संभावना है। लेकिन, कभी गंभीरता से काम नहीं हुआ। अधिकारी मोटर वाहनों को प्राथमिकता देते हैं। यह कार केंद्रित मानसिकता न केवल दुर्घटनाओं के खतरे को बढ़ाती है, बल्कि प्रदूषण और शहरी जाम को भी बढ़ावा देती है। फ्लाईओवर और एलिवेटेड रोड के बीच साइकिल चलाना मुश्किल है। जयपुर को साइकिल अनुकूल बनाना जरूरी है। ऐसा हुआ तो बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों के लिए सड़कों पर सुरक्षित माहौल मिलेगा। साथ ही एक स्वस्थ जीवनशैली और पर्यावरण को भी कम नुकसान पहुंचेगा। जब शहर को साइकिलिंग के हिसाब से विकसित किया जाएगा तो नागरिक सतत परिवहन के साधनों को अपनाने के लिए प्रेरित होंगे। इससे मोटर वाहनों का उपयोग कम होगा।
-अमरदीप सिंह, वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी, कट्स इंटरनेशनल