मुख्यमंत्री कृषक साथी योजना के तहत सरकार की तरफ से 5 हजार से 2 लाख रुपए की आर्थिक मदद दी जाती है। हालांकि इसको लेकर कुछ नियम और शर्ते भी हैं। पूरी जानकारी के लिए नीचे तक खबर को पढ़ें।
इन परिस्थितियों में मिलता है लाभ
कृषि कार्य करते समय कृषि यंत्रों के उपयोग से हुई दुर्घटनाएं। कुआं खोदते समय, ट्यूबवेल लगाते व संचालित करते समय बिजली का करंट लगने से मृत्यु या अंग-भंग। फसलों, फल सब्जियों पर रासायनिक छिड़काव करते समय में मृत्यु। मंडी या सरकार द्वारा घोषित क्रय केंद्रों पर कृषि यंत्रों के उपयोग से हुई दुर्घटनाएं, बोरियों की लगाते समय या ट्रैक्टर-ट्रॉली, ऊंट-लड्ढों, बैलगाड़ी के उलट जाने से मृत्यु या अंग-भंग। इसके अलावा मंडी प्रांगण में कृषि विपणन कार्य करते समय पल्लेदार या मजदूरों को फ्रैक्चर, मृत्यु या अंग-भंग होने पर। वाहन से मंडी में कृषि उपज लाते समय या बेचकर लौटते समय हुई दुर्घटना में मृत्यु या अंग-भंग। ट्रैक्टर, बैलगाड़ी, ऊंटगाड़ी आदि से घर से खेत में आते-जाते समय हुई दुर्घटना में मृत्यु या अंग-भंग। कुट्टी काटने की मशीन या अन्य कृषि संयंत्रों से कृषक मजदूरों के बाल मशीन में आने से हुई दुर्घटना सहित अन्य में देय है।
जानवरों के काटने पर भी आर्थिक सहायता
जानवरों के काटने से मृत्यु या अंग-भंग होने पर। खेत पर कार्य करते हुए ऊंट, सांप या अन्य जहरीले कृषि कार्य करते हुए आकाशीय बिजली गिरने से मृत्यु या अंग-भंग की स्थिति में भी आर्थिक मदद देय है।
इन मामलों में भुगतान नहीं होगा
बीमारी से मृत्यु/अंगभंग होना। आत्म हत्या, पागलपन या कृषक द्वारा नशीले पदार्थ लेने से होने वाली मृत्यु। चिकित्सा या शल्य-क्रिया के दौरान मृत्यु। मोटर वाहन अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करने पर। गर्भावस्था या प्रसव के कारण होने वाली मृत्यु। योजना के तहत लाभ तभी मिलेगा जब दुर्घटना में मृत्यु/क्षति के ‘स्पष्ट साक्ष्य उपलब्ध हों। कृषि कार्य के अलावा या कृषि उपज मंडी में विक्रय हेतु आने-जाने के अलावा अन्य कारणों से हुई दुर्घटनाओं में योजना का लाभ नहीं मिलेगा।
इन बातों का रखें खास ध्यान
दुर्घटना की तिथि और मृत्यु की तिथि में 90 दिन से अधिक का अंतर होने पर मामला दुर्घटनावश नहीं माना जाएगा। हालांकि, यदि इलाज लगातार चल रहा हो और उसी हादसे के कारण मृत्यु हुई हो, तो मामला ‘कृषक साथी योजना’ में कवर माना जाएगा, बशर्ते इस दौरान दुर्घटनाग्रस्त कृषक / खेतीहर मजदूर को संबंधित अस्पताल द्वारा डिस्चार्ज न किया गया हो या डिस्चार्ज होकर पुनः भर्ती न हुआ हो। – डॉ. बी.आर. कड़वा, सेवा नि. संयु. निदेशक उद्यान, उद्यान विभाग, जयपुर