बीजापुर कलेक्टर संबित मिश्रा ने पहले ही कह दिया है कि ऐसे किसी भी मामले में दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने बीजापुर के बाकी पोटाकेबिन की भी जांच शुरू करवा दी है। पोटाकेबिन में चल रहे भ्रष्टाचार को पत्रिका लगातार उजागर कर रहा है। विभागीय सूत्र बता रहे हैं कि आने वाले दिनों में और भी लोगों पर कार्रवाई होना तय है। पोटाकेबिनों में व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार होता है। इसी की जांच अब शुरू हो गई है। बीजापुर जिले में प्राइमरी स्तर के 32 और मीडिल स्तर के 28 पोटाकेबिन हैं। इन सभी की अब जांच चल रही है। पोटाकेबिनों के लिए अब तक हुई खरीदी की पड़ताल प्रशासन करवा रहा है।
डीईओ ऑफिस का बाबू भी पूरे मामले में शामिल
बीजापुर डीईओ कार्यालय में पदस्थ सहायक ग्रेड दो संजीव मोरला की भी संलिप्तता है। मोरला का भी नाम एफआईआर में शामिल है। हालांकि जेडी की कार्रवाई से अभी यह बच गए हैं। बताया जा रहा है कि इन पर कार्रवाई जिला स्तर पर करने की तैयारी चल रही है। मोरला और चंद्राकर ने मिलकर इस पूरे मामले में पेमेंट को हरी झंडी दी।
मामले में चार का नाम दो पर केस, एक सस्पेंड
बिना बिल के 42 लाख रुपए फर्मों को देने में चार लोगों की संलिप्तता प्रारंभिक जांच में सामने आई थी। इसमें दो पर पहले केस दर्ज करवाया गया। फिर एक को निलंबित कर दिया गया। शिक्षा विभाग के ही दो कर्मचारियों को नोटिस भी दिया गया था। हालांकि इन दोनों पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। बताया जा रहा है कि चारों लोगों ने ही नेक्सस बनाकर पेमेंट को अंजाम दिया।
सहायक परियोजना अधिकारी सस्पेंड
समग्र शिक्षा के सहायक जिला परियोजना अधिकारी पुरुषोत्तम चंद्राकर को मामले में निलंबित किया गया है। बताया जा रहा है कि इनके माध्यम से ही फर्मों को भुगतान किया गया। इन्होंने ही बिना बिल देखे भुगतान करवा दिया। तीन फर्मों के बीच ४२ लाख से ज्यादा की रकम सीधे खाते में डाल दी गई। यह भी नहीं देखा गया कि फर्म ने किस तरह की सप्लाई की है। बिना काम और बिल देखे भुगतान किया गया। बीजापुर के सभी पोटाकेबिन की फिलहाल जांच चल रही है। गड़बड़ी मिलने पर कार्रवाई जरूर होगी। फिलहाल एक मामले में एक पर कार्रवाई करते हुए निलंबित किया गया है।
– संजीव श्रीवास्तव, जेडी, शिक्षा, बस्तर