किंतु लगातार बारिश से साल बीज संग्रहण पर पानी फिर गया। ऐसे में इस वर्ष साल बीज संग्रहण का शुरूआत भी नहीं हो पाया।
लघु वनोपज संघ से मिले आंकड़ों के मुताबिक दो वर्ष पहले साल बीज संग्रहण के लिए 2 करोड़ 42 लाख 91 हजार 522 रुपए का भुगतान किया गया था। ऐसे में साल बीज नहीं होने से बस्तर के आदिवासियों को सीधा नुकसान हुआ है।
CG News: आदिवासियों का आर्थिक नुकसान
बस्तर में आदिवासी तेंदूपत्ता, महुंआ और इमली के बाद साल बीज से सर्वाधिक आय ग्रहण करते हैं। प्रदेश सरकार बी ग्रेड साल बीज के लिये 1800 रुपए प्रति क्विंटल और 2000 रुपए प्रति क्विंटल ए ग्रेड के लिये निर्धारित किया है। यही वजह है कि इनके संग्राहण को लेकर आदिवासियों में उत्साह होता है। वन विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक इस वर्ष शून्य संग्रहण से आदिवासियों को आर्थिक रूप से नुकसान होना तय है। फैक्ट फाइल
संग्रहण लक्ष्य 1500 क्विंटल संग्रहण 00 संग्रहण केन्द्र 49 वनधन केंद्र 15
महुआ व इमली के बाद साल बीज प्रमुख वनोंपज
बस्तर में वनोंपज आदिवासियों के आजीविका का प्रमुख स्रोत है। यहां के जंगल में तेंदूपत्ता, महुआ. इमली, अमचूर, कंद मूल, लाख सहित अनेक वनोपज आर्थिक रूप से संबल प्रदान करती है। साल बीज भी इन्हीं में से एक है जिन्हें यहां के आदिवासी कड़ी धूप में अथक मेहनत कर संग्रहण करते हैं और सरकार इसके संग्रहण के लिये लक्ष्य तय करती है। इस बीज के लिए सरकार 18 रुपए व 20 रुपए समर्थन मूल्य निर्धारित किया है। यही वजह है कि यहां के आदिवासी वनोपज के संग्रहण में अग्रणी रहते हैं।
बस्तर में शून्य हुआ साल बीज का संग्रहण
इस वर्ष साल बीज संग्रहण नहीं होने का रिकॉर्ड बन गया है क्योंकि लगातार वर्षा और ओले पड़ने से इसके पेड़ों पर फूलों को नुकसान हुआ है। प्रतिकूल प्राकृतिक माहौल में साल के पेड़ों में मौजूद बीज खराब हो गए। फल पकने से पहले ही गिर चुका है जिससे बीज तैयार नहीं हो पाया। आंकड़ों के मुताबिक
बस्तर में लगातार साल बीज का पैदावार प्रभावित हुआ है।
वर्ष 2025 में मात्र 1500 क्विंटल साल बीज का लक्ष्य दिया है जो बीते तीन वर्षों का सिर्फ 15 प्रतिशत है। 2024 में 12 हजार क्विंटल साल बीज संग्रहण का लक्ष्य दिया गया था। वहीं वर्ष 2023 में 10 हजार तो वर्ष 2022 में 10 हजार संग्रहण का लक्ष्य था जिसमें 4350 क्विंटल ही संग्रहण हो पाया था। जबकि वर्ष 2023 में संग्रहण लक्ष्य को दोहराया गया था और 13495 क्विंटल साल बीज का संग्रहण हुआ था।
यूरोपीय देशों में भारी डिमांड
CG News: बस्तर में महुआ, इमली के बाद साल बीज बस्तर का प्रमुख वनोपज: बस्तर के साल बीज की क्वालिटी काफी बेहतर और उपयोगी होती है जिसके चलते है साउथ ईस्ट एशिया और लेटिन अमेरिकन देशों के चाकलेट इंडस्ट्री के बड़े कारोबारी यहां के साल बीज हाथों हाथ ले रहे हैं। बस्तर के साल बीज का सबसे ज्यादा मांग यूरोपियन देशों में जहां बड़े बड़े चाकलेट इंडस्ट्रीज हैं। साल बीज का उपयोग अब विदेशी कंपनियां चाकलेट बनाने के लिए कर रही हैं। पहले साल बीज का स्थानीय स्तर में उपयोग होता था। राज्य सरकार ने भी इसका समर्थन मूल्य बढ़ा दिया है।