ब्रीडिंग के लिए तैयार इन पक्षियों के लिए कांगेर घाटी के विभिन्न हिस्सों पर कटफोड़वा द्वारा बनाए गए घोंसलों में इनके रहवास को सुरक्षित बनाने हेतु लगातार निगरानी (मॉनिटरिंग) की जा रही है। यह प्रजनन काल का समय है, जो इस क्षेत्र के एवियन कैलेंडर में एक महत्वपूर्ण चरण को दर्शाता है।
CG News: उड़ना सीख रहे है बच्चे
कांगेर घाटी से लगे 25 गांव में 600 से अधिक पहाड़ी मैना को विचरण करते देखे जा रहे है। इनके बच्चों को उड़ना सीखाते हुए भी देखा जा सकता है। वन विभाग के कर्मचारियों और मैना मित्र समान रूप से उनके आवासों की सुरक्षा के लिए प्रयास पर किए जा रहे हैं। जैसे-जैसे बस्तर की घाटियां और जंगल मानसून की बारिश के लिए तैयार होते हैं, पहाड़ी मैना का प्रजनन काल मानवीय गतिविधियों और जैव विविधता के संरक्षण के बीच नाजुक संतुलन की मार्मिक याद दिलाता है। कांगेर घाटी में चल रहे प्रयास यह सुनिश्चित करेंगे कि आने वाली पीढ़ियां जंगल में इन करिश्माई पक्षियों की उपस्थिति और मधुर ध्वनि का आनंद ले सकें।
कांगेर में 150 से अधिक घोसलों की निगरानी
छत्तीसगढ़ के गौरव के प्रतीक पहाड़ी मैना की विशिष्ट काली पंखुड़ी और जीवंत पीले कलगी विशेष पहचान है। कांगेर घाटी में इसकी आबादी और आवासों के संरक्षण का प्राथमिकता दी जा रही है। मानसून पहाड़ी मैना के सहवास और प्रजनन का समया होता है। ऐसे में घाटी में तैनात मैना मित्रों द्वारा लगभग 150 से अधिक घोसलों में राजकीय पक्षी की निगरानी की जा रही है।
कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के निदेशक ने बताया कि इन पक्षियों को निवास स्थान के नुकसान और अवैध व्यापार जैसे खतरों से बचाने के लिए निरंतर सतर्कता बरतने की अवश्यकता है साथ ही इनके संरक्षण के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है।
कटफोडवा के बनाए छेद में देते हैं अंडे
CG News: बरसात के दौरान पहाड़ी मैना का प्रजनन काल सीमा के आधार पर थोड़ा भिन्न होता है। पहाड़ी मैना का मोनोगेमस जोड़ा एक पेड़ में कटफोडवा द्वारा बनाए गए एक छेद की तलाश करता है। इसमें नर और मादा मिलकर टहनियों, पत्तियों और पंखों को ले जाकर अपने घोंसले में बिछाते हैं तथा अंडे देते हैं। यही वजह है कि इन पक्षियों के लिए अनुकूल वातावरण सुनिश्चित करने
कांगेर घाटी के विभिन्न हिस्सों पर कटफोड़वा द्वारा बनाए गए घोंसलों में इनके रहवास को सुरक्षित बनाने हेतु लगातार मॉनिटरिंग किया जा रहा है।