ब्रजराज नामक जिस व्यक्ति के नाम से यह पूरा फर्जीवाड़ा हुआ, पत्रिका उसके घर पहुंचा। ब्रजराज ने कहा कि मैं तो पेंटर हूं, मेडिकल कॉलेज कभी देखा तक नहीं। लेकिन इस कांड की वजह से उसकी जिंदगी बर्बाद हो गई है, उसका काम छूट गया और पूछताछ के लिए हर चौथे-पांचवें दिन पुलिस के सामने पेश होना पड़ता है। कटनी के झर्राटिकुरिया स्थित घर पर मिले ब्रजराज ने स्वीकार किया कि उसके नाम से डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी करने से लेकर डिग्री हासिल करने वाले का वास्तविक नाम सतेंद्र सिंह है और वह मूलत: प्रयागराज का निवासी है। कटनी में स्कूल में पढ़ाई के दौरान सतेंद्र से दोस्ती हो गई।
ब्रजराज के मुताबिक सतेंद्र किराए के मकान में रहता था। उसके घर पर भी आने लगा। 2010 बोर्ड परीक्षा में दोनों साथ बैठे और फिर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में जुट गए। ब्रजराज ने बताया, खुद के साथ ही उसका फार्म भी सतेंद्र ही भरता था। बस परीक्षा के बारे में बता देता था।
घरवाले काम पर जाने नहीं देते
ब्रजराज ने बताया, ६ माह से पुलिस पूछताछ के लिए आ रही है। मुझे नहीं पता था कि सतेन्द्र मेरे नाम से मार्बल सिटी हॉस्पिटल में मरीजों का उपचार कर रहा है और उसके गलत उपचार से एक महिला की मौत हो गई। सतेन्द्र के कारण मेरा जीवन खराब हो गया है। पेंटिंग से 10 हजार महीने कमा लेता था, पिछले ६ महीनों से घर में ही हूं। घरवाले जाने नहीं देते।
प्रमाण-पत्र के लिए आया, तब पता चला
जबलपुर मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस में एडमिशन लेने के करीब तीन साल बाद सतेन्द्र एक बार फिर ब्रजराज के घर पहुंचा। दोस्ती का हवाला देते हुए उसे बताया कि उसके डिजिटल जाति प्रमाणपत्र की आवश्यकता है। ब्रजराज ने बताया, उसने सवाल किया कि उसकी पढ़ाई में मेरे प्रमाणपत्र की जरूरत क्यों है तब सतेन्द्र ने पूरी बात बताई।
ऐसे हुई फजीवाड़े की शुरुआत
ब्रजराज ने बताया कि सतेन्द्र ने प्रतियोगी परीक्षा का फार्म भरने के नाम पर उसकी ओरिजनल मार्कशीट रख ली थी। जब मांगी तो बताया गुम गई है। लेकिन डुप्लीकेट कॉपी निकलवाकर फिर उसी तरह से उनके फार्म भरने लगा। उसने मार्कशीट सहित उसके तमाम दस्तावेज में सतेंद्र ने कैसे छेड़छाड़ की और फोटो तक बदली, उसे नहीं पता। वह तब भी मिलता रहा और उसे इसका आभास नहीं होने दिया कि उसी के नाम पर मेडिकल की पढ़ाई कर रहा है। मार्बल सिटी हॉस्पिटल में कार्यरत डॉ ब्रजराज सिंह उइके के नाम के फर्जीवाड़े का खुलासा रेलवे अफसर मनोज कुमार महावर की मां शांति देवी की कथित लापरवाही के चलते हुई मौत से हुआ। अस्पताल प्रबंधन से लेकर स्वास्थ्य विभाग और सरकारी कार्यालयों से किसी तरह की मदद नहीं मिलने पर उन्होंने खुद ही डॉ ब्रजराज सिंह उइके को खोज शुरू की। तब पोल खुली की ब्रजराज तो कटनी में पेंटर है, उसके नाम पर डॉक्टरी करने वाला व्यक्ति सतेंद्र सिंह है।
सतेंद्र ने फर्जी तरीके से किया एबीबीएस
इसके आगे की पुलिस जांच में सामने आया कि सतेंद्र ने अपने सहपाठी ब्रजराज सिंह जो अनुसूचित जनजाति समुदाय का है, उसके नाम से आरक्षण का लाभ लेकर एमबीबीएस में एडमिशन लेने के लिए फर्जी दस्तावेज बनाए और फर्जी पहचान से मेडिकल कॉलेज में दाखिला लेकर पढ़ाई पूरी कर ली। ब्रजराज परिवार के साथ कटनी में रहकर पेंटिंग का काम करता रहा और इधर सतेंद्र सिंह दोस्त ब्रजराज के नाम से फर्जी डिग्री हासिल कर अस्पताल में नौकरी कर रहा था। अब उसकी तलाश की जा रही है।