कान के पर्दे में छेद
कान के पर्दे में छेद होने या बहने के 100 में से करीब 10 दस मामलों में सर्दी जुकाम मुख्य वजह सामने आई है। डॉ. ग्रोवर ने बताया कि नवजात से लेकर 10 साल तक के बच्चों में कान के पर्दे में छेद होने के सबसे ज्यादा मामले आते हैं। इसकी मुख्य वजह सर्दी-जुकाम का समय पर पूरा इलाज नहीं कराना है। डॉक्टरों के अनुसार जो इंफेक्शन नाक से नहीं निकल पाता है, वह कान के पास जमा होता रहता है और कान के पर्दे को फाडकऱ या छेद बनाकर बाहर आने लगता है। ऐसे में सर्दी तो एक समय पर ठीक हो जाती है, लेकिन कान के पर्दे की नई समस्या पैदा हो जाती है।
स्तनपान करने वाले बच्चे भी शामिल
ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. नितिन श्रीनिवासन ने बताया कि नवजातों में भी कान के पर्दे फटने या छेद होने की समस्या सामने आ रही है। स्तनपान के दौरान बच्चे का सिर शरीर से ऊंचा रखना चाहिए। नवजात का सिर ऊंचा नहीं रखने से दूध मुख नली के अलावा नाक-कान के बीच से होकर कान में पहुंच जाता है। इससे कान में इंफेक्शन हो जाता है और पर्दे में पर्दे में छेद करके बाहर आ जाता है।
केस-1
शिव नगर निवासी राठौर परिवार के 10 साल के बच्चे को दस दिनों से सर्दी-जुकाम से पीड़ित है। डॉक्टर से परामर्श लिए बिना दवाइयां लेने से कान में दर्द होने लगा तो ईएनटी स्पेशलिस्ट को दिखाया। जांच में पता चला कि कान बहने लगा है। हालांकि समय पर इलाज शुरू हो गया है।
केस-2
गढ़ा निवासी गुप्ता परिवार के 25 वर्षीय युवक को सर्दी-जुकाम के चलते बुखार आ गया। दवा दुकान से दवाइयां लेने पर बुखार ठीक नहीं हुआ। दर्द के चलते कानों में सीटी की आवाज आने लगी। सोमवार को डॉक्टर से जांच कराने पर पता चला कि उसके कान के पर्दे में छेद हो गया है, जो सर्दी-जुकाम के इंफेक्शन से हुआ है।