होटल शैरेटन ग्रैंड पैलेस (Hotel Sheraton Grand Palace) में हुए की नोट में पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार, पूर्व अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर अमय खुरासिया और लेखिका धरा पांडे ने पत्रकारिता में बदलाव और चुनौतियों के साथ संभावनाओं पर चर्चा की। कोठारी ने पत्रकारिता का मतलब समझाया। उन्होंने कहा कि अगर दिल से बात रखनी है तो पत्रकार को मां की भूमिका में आना पड़ेगा। एक मां ही शरीर के साथ आत्मा का निर्माण करती है। मनुवादी शिक्षा हमें इस लक्ष्य से दूर कर रही है।
पत्रकार का नारद सा, हो समाज से नाता
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि नारायण सहज ही पैदा नहीं होते हैं। समाज को इसकी कीमत चुकानी पड़ती है। नारायण बनने का काम कठिन अवस्था वाला है, जो जड़ से जुड़कर ही प्राप्त किया जा सकता है। चाहे पत्रकारिता हो, राजनीति, समाजसेवा या फिर अच्छा व्यापार, उसमें काम को करने के भाव की जड़ देश से जुड़ी होनी चाहिए। अन्यथा दिक्कत होती है। पत्रकारिता में मन की पवित्रता जरूरी है। उन्होंने कहा, पत्रिका निष्पक्षता, विश्वसनीयता के साथ बात रखने वाला अखबार है। डॉ. यादव ने नारद मुनि और देवकी के आठ पुत्रों के जन्म व कंस की ओर से उन्हें मारने का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि नारायण का विराट स्वरूप पाने के लिए जिस तरह कठिन अवस्था से गुजरना पड़ता है, उसी तरह एक पत्रकार को नारद की तरह समाज में रहकर उसकी जड़ों से जुड़कर कार्य करना चाहिए। हर क्षेत्र में नैतिकता व पवित्रता जरूरी है, यही पत्रकारिता में होनी चाहिए।
मां की तरह बनें
मन की पवित्रता के लिए जरूरी है कि एक पत्रकार मां जैसा बने। हमारी संस्कृति अलग है, कुटम्ब की संस्कृति है। जड़ों से जुड़कर बात करने की आवश्यकता है। हमारी शिक्षा केवल कागज की डिग्री या पास होने वाले 33 नंबर नहीं हैं। शंकराचार्य के जमाने जैसी शिक्षा पद्धति होनी चाहिए, जिसमें 100 में से 100 अंक वाला ही पास हो सकता है। इसी से समाज में बदलाव होगा।
बहू-आदर्श पत्नी का उदाहरण है मां अहिल्या
मुख्यमंत्री ने कहा कि अहिल्या माता की 300वीं जंयती पर इंदौर आया हूं। देवी अहिल्या के व्यक्तित्व से पता चलता है कि एक शासिका कितना उत्कर्ष जीवन जी सकती हैं। बाल रूप से लगाकर एक आदर्श बहू, जिन्होंने अपने सास-ससुर से बेटी की तरह प्रेम पा लिया। आदर्श पत्नी, जो पति से कहती है कि सैन्य आक्रमण के बलबूते पर हासिल धन राजकोष में जमा होना चाहिए।