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इंदौर

‘No online payment’, GST के डर से व्यापारियों ने दुकानों पर लगाए बोर्ड

MP News: डिजिटल इंडिया अभियान के बीच इंदौर में कई व्यापारी जीएसटी रजिस्ट्रेशन से बचने के लिए यूपीआई और कार्ड पेमेंट बंद कर सिर्फ कैश ले रहे हैं, ग्राहकों को ‘नो ऑनलाइन पेमेंट’ कहकर लौटा रहे हैं।

इंदौरAug 08, 2025 / 08:59 am

Akash Dewani

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(फोटो-सोशल मीडिया)

MP News: केंद्र सरकार जहां एक ओर डिजिटल इंडिया को बढ़ावा देने के लिए यूपीआइ, भीम और अन्य ऑनलाइन ट्रांजैक्शन प्लेटफॉर्म्स को प्रमोट कर रही है, वहीं प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में अलग ही ट्रेंड सामने आ रहा है। जीएसटी (GST) रजिस्ट्रेशन से बचने के लिए व्यापारी अब डिजिटल लेनदेन से दूरी बना रहे हैं और फिर से कैश में व्यापार करने लगे हैं।
उन्होंने अपनी दुकान में सूचना भी लगाई है कि ऑनलाइन पेमेंट नहीं, सिर्फ कैश ही दें। आंकड़ों के अनुसार, मप्र में सिर्फ 5,01,163 जीएसटी रजिस्ट्रेशन है, जो सिर्फ 20 फीसदी है। ऐसे में लाखों व्यापारी बड़ी कमाई के बाद भी जीएसटी रजिस्ट्रेशन नहीं करा रहे हैं।

तीन महीने से डिजिटल पेमेंट लेना बंद किया

धार रोड के एक लकड़ी व्यापारी की सालाना आय 70 लाख रुपए से ज्यादा होने लग गई। उन्होंने पहले ग्राहकों को यूपीआइ से भुगतान की सुविधा दी थी। जीएसटी रजिस्ट्रेशन के डर से उन्होंने पिछले तीन महीनों से डिजिटल पेमेंट (online payment) लेना पूरी तरह से बंद कर दिया है। हालांकि उन्होंने खुले तौर पर तो ऐसा कोई नोटिस तो नहीं लगाया, लेकिन वह ग्राहकों को यह कहकर मना कर रहे हैं कि अभी मशीन काम नहीं कर रही है, पेमेंट नकद कर दें।

कंपोजिट स्कीम का विकल्प छोड़ डर से कैश में लौटे

साकेत नगर क्षेत्र के जनरल स्टोर मालिक ने बताया, वह सालाना करीब 42 लाख का कारोबार करते हैं। वह कंपोजिट स्कीम के तहत 1% टैक्स देकर पंजीकृत हो सकता था, लेकिन गलतफहमियों और डर से रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी नहीं समझा, लेकिन अब डिजिटल लेनदेन पर नजर रखे जाने से घबरा कर क्यूआर कोड हटा दिया है। उन्होंने एक प्रिंट आउट निकालकर चिपका दिया है, जिस पर ‘नो ऑनलाइन पेमेंट, ऑनली कैश’ (No online payment, only cash) लिखा हुआ है।

क्या है नियम ?

जीएसटी कानून के अनुसार, यदि व्यापारी सामान बेचता है और सालाना टर्नओवर 40 लाख से ज्यादा है या सेवाएं देता है। उसका टर्नओवर 20 लाख रुपए से ऊपर है तो उसके लिए जीएसटी पंजीकरण अनिवार्य है, लेकिन इंदौर के कई छोटे व्यापारी इस सीमा के करीब पहुंचने पर ऑनलाइन पेमेंट लेना बंद कर रहे हैं ताकि वे सरकार की नजर में आने से बच सकें।

आज नेटवर्क स्लो है, अभी सिर्फ कैश ही दें

विजयनगर की एक महिला का ब्यूटी पार्लर महीने में 2 लाख से ज्यादा की कमाई कर रहा है। सेवाओं की श्रेणी में होने के कारण 12 महीने का आंकड़ा 24 लाख रुपए से ऊपर निकल जाता है, जो जीएसटी की सीमा से ज्यादा है। जब ग्राहक यूपीआइ से भुगतान करना चाहते हैं तो वह कहती हैं, ‘आज नेटवर्क स्लो है, सिर्फ कैश दें। ऐसा इसलिएकिया जा रहा है ताकि इनकम छिपाकर जीएसटी रजिस्ट्रेशन से बचा जा सके।

डिजिटल पेमेंट से डर क्यों?

यूपीआइ पेमेंट, कार्ड ट्रांजैक्शन और क्यूआर कोड स्कैन से किया गया हर लेनदेन अब डिजिटल फॉर्मेट में दर्ज हो रहा है। वित्त मंत्रालय और जीएसटी विभाग अब इन डेटा को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) और डेटा एनालिटिक्स की मदद से स्कैन कर रहा है। ऐसे में बिना पंजीकरण वाले व्यापारी जो डिजिटल माध्यम से भारी लेनदेन कर रहे हैं, उनकी पहचान करना आसान हो गया है। इससे व्यापारी डिजिटल पेमेंट बंद कर रहे हैं ताकि वे असली टर्नओवर को छिपाकर जीएसटी के दायरे से बाहर बने रहें।
व्यापारी खुद का नुकसान कर रहे

शहर के कई छोटे व्यापारियों ने जीएसटी में रजिस्ट्रेशन से बचने के लिए यूपीआइ से पेमेंट लेना बंद कर दिया है, लेकिन यह ठीक नहीं है। इनकम टैक्स और जीएसटी रिटर्न में रजिस्ट्रेशन करने से उनकी प्रोफाइल मजबूत होती है। जानकारी के अभाव में व्यापारी इससे बच रहे हैं, जिससे उन्हीं का नुकसान हो रहा है।- मिलिंद वाधवानी, सीए

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