पुजारी पं. गुलशन अग्रवाल के मुताबिक अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार माघ नवरात्रि जनवरी-फरवरी के महीनों के दौरान मनाई जाती है, जबकि आषाढ़ नवरात्रि जून-जुलाई के महीने में आती है। इस बार की आषाढ़ नवरात्रि गुरुवार से शुरू होने जा रही है। गुप्त नवरात्रि के दौरान गुप्त रूप से देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों को ‘शक्ति’ के रूप में पूजा जाता है।
ये भी पढें
– नवरात्रि में सीधी हो जाती है मां कंकाली की टेढ़ी गर्दन, चमत्कारी मंदिर में आते है हजारों भक्त गुप्त रूप से किए जाएंगे अनुष्ठान
पं. अग्रवाल के मुताबिक इस त्योहार के दौरान भक्त देवी की पूजा कर अपनी इच्छाओं को पूरा कर सकते हैं, लेकिन अनुष्ठानों को गुप्त रखने की आवश्यकता होती है, क्योंकि पूजा की सफलता इसके पीछे गोपनीयता पर निर्भर करती है। चैत्र और आश्विन मास के नवरात्रि(Ashadha Gupt Navratri 2025) में देवी प्रतिमा स्थापित कर मां दुर्गा की आराधना अखंड ज्योति प्रज्वलित कर या जवारे की स्थापना कर की जाती है।
गुप्त नवरात्रि व्रत के पालन से मिलेंगे लाभ
इस नौ दिवसीय धार्मिक क्रिया के दौरान देवी दुर्गा को प्रसन्न करने का मुख्य तरीका तंत्र विद्या के मंत्रों के साथ देवी के शक्तिशाली आह्वान को मंत्रमुग्ध करना है। गुप्त नवरात्रि के दौरान पूजा की सबसे प्रसिद्ध विधि तांत्रिक विद्या है, जिसमें धन, बुद्धि और समृद्धि प्राप्त करने के लिए देवी आराधना की जाएगी। ये भी पढ़ें- Navratri:
आपस में भिड़ गई थीं दो चमत्कारी देवियां, झगड़ा शांत कराने पहुंचे थे बजरंगबली विंध्यवासिनी मंदिर पर अनुष्ठान
देवास नाका स्कीम 114 स्थित मां विंध्यवासिनी मंदिर, मां जगवंती देवी धाम पर गुप्त नवरात्रि के उपलक्ष्य में गुरुवार से नौ दिनों अनुष्ठान किए जाएंगे। 4 जुलाई तक नियमित रूप से प्रतिदिन सुबह 6 से दोपहर 1 बजे तक और शाम 5 से रात 11 बजे तक विभिन्न आयोजन होंगे। मंदिर के प्रमुख पं. शिवनारायण पाठक ने बताया, गुप्त नवरात्रि में प्रतिदिन दोनों समय नित्य नूतन शृंगार, पूजन और अभिषेक का क्रम चलेगा। भक्तों की सुविधा के लिए अभिषेक एवं पूजा-अर्चना के विशेष प्रबंध किए गए हैं।