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Joe Biden Prostate Cancer : 82 साल की उम्र में जो बाइडेन को स्टेज-4 प्रोस्टेट कैंसर, जानिए क्यों होता है ये कैंसर

Joe Biden Prostate Cancer : पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (82 वर्ष) को प्रोस्टेट कैंसर के स्टेज IV का पता चला है, जो उनकी हड्डियों तक फैल गया है। उनके निजी कार्यालय ने रविवार को यह पुष्टि की।

भारतMay 19, 2025 / 12:46 pm

Manoj Kumar

Joe Biden Prostate Cancer

जो बाइडेन को कैंसर, लेकिन इलाज में उम्मीद की किरण (फोटो सोर्स : Freepik/Joe Biden X)

Joe Biden Prostate Cancer : पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को 82 वर्ष की उम्र में प्रोस्टेट कैंसर के स्टेज IV का पता चला है। यह एक गंभीर और आक्रामक प्रकार का कैंसर है, जो अब उनकी हड्डियों तक फैल चुका है। उनके निजी कार्यालय की ओर से यह पुष्टि रविवार को की गई। फिलहाल बाइडेन अपने चिकित्सकों के साथ मिलकर उपचार योजना पर विचार कर रहे हैं।
हाल ही में बाइडेन में पेशाब संबंधी समस्याएं बढ़ने की खबरें सामने आई थीं। इसके बाद हुए मेडिकल टेस्ट में प्रोस्टेट में एक गांठ मिली और बायोप्सी से यह स्पष्ट हो गया कि उन्हें उच्च-ग्रेड (Gleason score 9) का कैंसर है — यह स्कोर इस बीमारी की सबसे आक्रामक अवस्था को दर्शाता है।

Joe Biden Prostate Cancer : प्रोस्टेट कैंसर को ऐसे समझ सकते हैं

प्रोस्टेट कैंसर पुरुषों में होने वाली एक बीमारी है। यह प्रोस्टेट नाम की एक छोटी सी ग्रंथि में शुरू होता है। यह ग्रंथि अखरोट के आकार की होती है और पेशाब की थैली के ठीक नीचे और पेट साफ करने वाली जगह (मलाशय) के सामने होती है।
इस ग्रंथि का काम एक खास तरह का तरल पदार्थ बनाना है, जो वीर्य (Semen) का हिस्सा होता है। यह शुक्राणुओं (Sperm) को स्वस्थ रखने में मदद करता है ताकि बच्चे पैदा हो सकें।
Joe Biden Prostate Cancer: जो बाइडेन को प्रोस्टेट कैंसर

प्रोस्टेट कैंसर एक गंभीर बीमारी हो सकती है। लेकिन अच्छी बात यह है कि ज्यादातर मामलों में इसका पता तब चल जाता है जब यह सिर्फ प्रोस्टेट ग्रंथि के अंदर ही होता है और शरीर के दूसरे हिस्सों में नहीं फैला होता। जब यह शुरुआती स्टेज में होता है और फैला नहीं होता, तो इसका इलाज अक्सर कामयाब होता है और कैंसर को खत्म किया जा सकता है।

Prostate Cancer : इलाज की उम्मीदें और विकल्प

हालांकि यह कैंसर शरीर के अन्य हिस्सों में फैल चुका है, डॉक्टरों के मुताबिक यह हार्मोन-सेंसिटिव (हॉर्मोन पर निर्भर) कैंसर है। इसका मतलब है कि इलाज की कुछ आधुनिक पद्धतियाँ—जैसे कि हॉर्मोन ब्लॉकिंग थैरेपी, कीमोथेरेपी, या टार्गेटेड रेडिएशन इस पर असरदार हो सकती हैं।
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बाइडेन इस समय डेलावेयर के विलमिंगटन स्थित अपने घर पर आराम कर रहे हैं, जहां उनका परिवार और डॉक्टर मिलकर अगला कदम तय कर रहे हैं।

Joe Biden Prostate Cancer : बुढ़ापे में बिगड़ती सेहत की चिंता

बाइडेन की यह बीमारी ऐसे समय आई है जब उनकी उम्र और स्वास्थ्य को लेकर पहले ही सवाल उठते रहे हैं। 2024 के जून में ट्रंप के साथ बहस के दौरान उनका प्रदर्शन कमजोर बताया गया, जिससे लोगों को उनकी मानसिक स्थिति और थकान को लेकर चिंता हुई।
सीएनएन के जैक टैपर और एक्सिओस के एलेक्स थॉम्पसन की हालिया किताब में व्हाइट हाउस के अंदरूनी सूत्रों ने भी बाइडेन की याददाश्त में कमजोरी और ऊर्जा की कमी की बात कही थी।

हालांकि, “द व्यू” नामक टीवी शो में बाइडेन ने इन दावों को सिरे से खारिज किया और कहा कि इन बातों का कोई आधार नहीं है। उनकी पत्नी जिल बाइडेन ने भी उनका बचाव करते हुए कहा, “जो बाइडेन की मेहनत और दृढ़ता को जो नहीं देख पाया, वो कभी व्हाइट हाउस के अंदर था ही नहीं।
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राजनीति से ऊपर उठकर मिली सहानुभूति

इस खबर के सामने आने के बाद रिपब्लिकन और डेमोक्रेट दोनों ही पार्टियों से सहानुभूति और शुभकामनाएं आने लगीं।
पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, जो आमतौर पर बाइडेन पर निशाना साधते हैं, ने भी सहानुभूति जताते हुए लिखा, “मेलानिया और मैं इस खबर से दुखी हैं। हम जो, जिल और उनके परिवार को ढेरों शुभकामनाएं देते हैं।”
उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस, जो अब डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार हैं, ने भी लिखा, “जो हमेशा से एक फाइटर रहे हैं। हमें पूरा विश्वास है कि वो इस चुनौती का सामना भी उसी जज़्बे से करेंगे, जैसे उन्होंने हमेशा किया है।”

विशेषज्ञों की राय: गंभीर लेकिन काबू में लाने योग्य

पिट्सबर्ग यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर के डॉ. बेंजामिन डेविस ने बताया, “ग्लीसन स्कोर 9 का मतलब है कि यह प्रोस्टेट कैंसर की सबसे आक्रामक श्रेणी में आता है। हड्डियों तक फैलने के बाद यह लाइलाज होता है, लेकिन आज की आधुनिक चिकित्सा इसे नियंत्रित कर सकती है।”
ऑरलैंडो हेल्थ के यूरोलॉजिस्ट डॉ. ब्रह्मभट्ट ने कहा कि इलाज में हॉर्मोन थेरेपी, कीमोथेरेपी और हड्डियों पर लक्षित दवाओं का मिश्रण हो सकता है। हालांकि, “कुछ इलाज से याददाश्त, मूड और मानसिक स्थिति पर असर पड़ सकता है, इसलिए डॉक्टरों को संतुलन बनाना होगा।”
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कैंसर रिसर्च से निजी लड़ाई तक

यह बीमारी बाइडेन के लिए व्यक्तिगत भी है। उनके बेटे बो बाइडेन की 2015 में ब्रेन कैंसर से मौत हो गई थी। तभी से उन्होंने कैंसर रिसर्च को जीवन का मिशन बना लिया।
2016 में तत्कालीन राष्ट्रपति ओबामा ने बाइडेन को “कैंसर मूनशॉट” मिशन की अगुवाई सौंपी थी। 2022 में उन्होंने इसे फिर से शुरू किया इस बार लक्ष्य रखा। अगले 25 साल में कैंसर से होने वाली मौतों को 50% तक कम करना।
ओबामा और हिलेरी क्लिंटन दोनों ने बाइडेन के कैंसर के खिलाफ प्रयासों की सराहना की। ओबामा ने लिखा, “जो ने कैंसर पर काबू पाने के लिए जितना किया, उतना शायद ही किसी ने किया हो।
अब जब बाइडेन खुद इस बीमारी से जूझ रहे हैं, तो दुनिया उम्मीद कर रही है कि उनकी सालों की लड़ाई जो अब व्यक्तिगत हो चुकी है इस बार भी उनकी जीत के साथ पूरी हो।

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