Cancer Blood Tests: नई स्टडी ,रूटीन ब्लड टेस्ट से तीन साल पहले हो सकेगी कैंसर की पहचान
Cancer Blood Tests: जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के अध्ययन में पाया गया कि रूटीन ब्लड टेस्ट से बिना लक्षण के तीन साल पहले कैंसर के शुरुआती ट्यूमर डीएनए का पता लगाया जा सकता है। समय से पहले पहचान से इलाज की सफलता बढ़ जाती है।
Early cancer detection formula
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Cancer Blood Tests: जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के हालिया अध्ययन में पता चला है कि अब रूटीन ब्लड टेस्ट की मदद से कैंसर के शुरुआती ट्यूमर डीएनए के निशान बिना कोई लक्षण दिखे तीन साल पहले ही पहचाने जा सकते हैं। शोध में उन लोगों के रक्त प्लाज्मा का विश्लेषण किया गया, जिनकी शुरुआत में हृदय रोग की जांच हो रही थी, लेकिन बाद में उनमें कैंसर पाया गया। अध्ययन के अनुसार, समय से पहले कैंसर का पता चलने पर इलाज की सफलता बढ़ जाती है क्योंकि ट्यूमर तब प्रारंभिक अवस्था में होता है। आइए जानते हैं इससे जुड़ी पूरी जानकारी।
जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के एक नवीनतम शोध के अनुसार, अब रूटीन ब्लड टेस्ट के जरिए कैंसर के शुरुआती संकेत लक्षण दिखने से लगभग तीन साल पहले ही मिल सकते हैं। शोध में रक्त प्लाज्मा के व्यापक विश्लेषण से ट्यूमर से निकलने वाले डीएनए के अंशों की पहचान की गई है, जो रक्त प्रवाह में मौजूद होते हैं।इस अध्ययन में उन मरीजों के ब्लड सैंपल्स की जांच की गई, जिन्होंने शुरुआत में केवल हृदय रोगों की जांच के लिए रक्त दिया था, लेकिन बाद में उनमें कैंसर विकसित हुआ। शोध में पाया गया कि इनमें कैंसर से जुड़े बायोमार्कर पहले से ही मौजूद थे, वह भी बिना किसी स्पष्ट लक्षण के।अध्ययन के मुख्य लेखक डॉ. युशुआन वांग के अनुसार, अगर कैंसर का पता तीन साल पहले चल जाए तो इलाज के अवसर कई गुना बेहतर हो जाते हैं। क्योंकि उस समय ट्यूमर प्रारंभिक अवस्था में होता है, जिससे इलाज अधिक सफल होता है।
प्लाज्मा सैंपल्स से मिली नई दिशा
शोधकर्ताओं ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की ओर से जुटाए गए हजारों लोगों के ब्लड प्लाज्मा सैंपल्स का उपयोग किया। ये सैंपल्स दशकों पहले हृदय संबंधी बीमारियों की जांच के लिए एकत्र किए गए थे। अब इन्हीं सैंपल्स में शोधकर्ताओं ने पाया कि कैंसर से पहले डीएनए में परिवर्तन के संकेत मौजूद थे, जिन्हें ‘मल्टीकैंसर अर्ली डिटेक्शन’ टेस्ट से पहचाना गया।
नियमित ब्लड टेस्ट है महत्वपूर्ण
इस शोध से यह भी सामने आया कि भले ही व्यक्ति खुद को पूरी तरह स्वस्थ महसूस कर रहा हो, नियमित रक्त जांच से गंभीर बीमारियों की पहचान समय रहते संभव है। इससे ब्लड प्रेशर या कोलेस्ट्रॉल जांच की तरह ही नियमित ब्लड टेस्ट से बीमारी के शुरुआती चरण में ही प्रभावी इलाज शुरू करना संभव हो सकेगा।
हालांकि यह शोध विशेष रूप से कैंसर पर केंद्रित था, पर वैज्ञानिक मानते हैं कि यह तकनीक अन्य बीमारियों के लिए भी उपयोगी हो सकती है। कई बार डायबिटीज, लिवर या ऑटोइम्यून बीमारियों जैसे रोगों के संकेत भी ब्लड में पहले ही नजर आने लगते हैं। ऐसे में यह तकनीक स्वास्थ्य देखभाल में अहम भूमिका निभा सकती है। इस अध्ययन को कैंसर डिस्कवरी जर्नल में प्रकाशित किया गया है।
डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।