बरसों गए बीत
गांव खोथांवाली के निकट चक दो बीएलडब्ल्यू रोड पर खेत में बने कमरे में रह रहे 55 वर्षीय भंवराराम नायक पिछले छह वर्षों से बीमारी के कारण जिंदगी के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उनके शरीर की एक नस ब्लॉक होने के कारण भंवराराम के शरीर के पेट के नीचे का पूरा हिस्सा काम नहीं करता है। पेट के नीचे के हिस्से में जख्म हो गए हैं। आर्थिक रूप से बुरी तरह टूट चुके भंवराराम का परिवार अब उपका इलाज करवाने में असमर्थ है। परिवार की आर्थिक हालात इतनी नाजुक है कि भंवराराम व उसका परिवार किसी के खेत में बने एक कमरे में रह रहा है।
खाद्य सुरक्षा में भी नहीं
तीन बच्चों का पिता भंवराराम इलाज के अभाव में चारपाई पर पड़ा है। उसकी पत्नी व तीनों बच्चे उसकी देखभाल करते हैं। खुद का मकान भी नहीं है। सरकारी नाकामी के चलते भंवराराम का राशन कार्ड अब तक खाद्य सुरक्षा में भी नहीं जुड़ा है। भंवराराम के इलाज के लिए लाखों रुपए की आवश्यकता है। ऐसी स्थिति में सामाजिक संगठनों को पहल करनी चाहिए ताकि भंवराराम की जिंदगी बचाई जा सके।
हो गया बेबस
भंवराराम ने बताया कि वो करीब छह वर्ष पूर्व खेत में मजदूरी कर रहा था कि अचानक उसकी कमर में दर्द हुआ। चेकअप करवाने पर पता चला कि उसकी एक नस ब्लॉक हो गई है। उसके बाद से वो गंगानगर जयपुर तक इलाज करवा चुका है। परंतु इलाज महंगा होने के कारण वो बेबस हो गया है।