दरअसल रामनिवास रावत उपचुनाव में कांग्रेस विधायक मुकेश मल्होत्रा से हार गए थे, लेकिन रामनिवास रावत ने चुनाव शपथ पत्र में अपराध की जानकारी छिपाई थी। इसी आधार पर विधायक के निर्वाचन को चुनौती दी गई है। कोर्ट ने मुकेश मल्होत्रा के आवेदनों को खारिज करते हुए पांच वाद प्रश्न बनाए हैं। इन प्रश्नों के जवाब देने के लिए दोनों पक्षों को अपने-अपने गवाहों की सूची पेश करनी है।
1- क्या मुकेश मल्होत्रा (प्रतिवादी) को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 33 ए और संबंधित नियमों के तहत अपने नामांकन पत्र और हलफनामे (फॉर्म 26) में कुछ आपराधिक मामलों (समूह 1 और समूह 2 दोनों) का खुलासा करना आवश्यक था?
2- क्या प्रतिवादी द्वारा आपराधिक पृष्ठभूमि का खुलासा न करना या अधूरा खुलासा करना वैधानिक आवश्यकताओं का उल्लंघन है। क्या इससे उसके चुनाव की वैधता प्रभावित होती है? 3- क्या प्रतिवादी द्वारा आपराधिक पृष्ठभूमि का कथित रूप से खुलासा न करने या अपूर्ण प्रकटीकरण ने लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 100(1)(घ) के तहत अपेक्षित रूप से चुनाव के परिणाम को भौतिक रूप से प्रभावित किया है?
4- क्या प्रतिवादी ने समाचार पत्रों और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में आपराधिक पृष्ठभूमि के प्रकाशन के संबंध में भारत के चुनाव आयोग के दिशा निर्देशों का पालन किया है, और क्या ऐसा अनुपालन कानून का पर्याप्त अनुपालन है?
5- क्या याचिकाकर्ता ने प्रतिवादी के खिलाफ भ्रष्ट आचरण का मामला बनाया है?