कल से शुरू होगा इस्लामी नया साल हिजरी सन 1447
इसके साथ ही पहली मुहर्रम से इस्लामी नया साल हिजरी सन 1447 का आगाज होगा। ग्वालियर में मुहर्रम का पर्व इमाम हुसैन के उर्स के रूप में अकीदत के साथ मनाया जाता है। मुहर्रम का प्रमुख आकर्षण ताजिया है। इन्हीं ताजियों के साथ सवारियां निकाली जाती हैं। जलाल खां की गोठ निवासी रहीस खान परंपरागत तरीके से करीब 35 सालों से ताजिए बनाते आ रहे हैं। वहीं मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में मोहर्रम के आगमन से पूर्व ही शहीदी कलाम भी गूंजने लगे हैं।
बलिदान और शोक में मनाया जाता है मोहर्रम
यह हिजरी कैलेंडर का पहला महीना मुहर्रम है। मोहर्रम महीने में पैगम्बर हजरत मोहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों की कर्बला में शहादत हुई थी। इस कारण इस माह को मुस्लिम धर्मावलंबी शोक, बलिदान और त्याग के रूप में मनाते हैं।
इमाम बाड़ों में भी तैयारियां प्रारंभ
शहर काजी अब्दुल अजीज कादरी ने बताया कि दस दिवसीय मुहर्रम पर्व के दौरान इमामबाड़ों में सुबह से रात तक मजलिसों का एहतेमाम किया जाएगा। मुहर्रम को लेकर इमामबाड़ों में तैयारियां शुरू हो गई हैं।