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ग्वालियर

हाइकोर्ट का आदेश, पत्नी कभी साथ नहीं रही, ऐसी स्थिति में तलाक का दावा सही नहीं

Divorce: प्रेम विवाह के बाद पत्नी पति के साथ नहीं रही। उसने कुटुंब न्यायालय ग्वालियर में दावा पेश किया कि धोखे से उसके साथ विवाह किया गया है।

ग्वालियरMay 22, 2025 / 05:37 pm

Astha Awasthi

Divorce

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Divorce: हाईकोर्ट की युगल पीठ ने कुटुंब न्यायालय के उस आदेश को निरस्त कर दिया था, जिसमें पत्नी ने क्रूरता व परित्याग के आधार पर तलाक ले लिया था। कोर्ट ने कहा कि पत्नी कभी पति के साथ नहीं रही। ऐसे में यह नहीं कहा जा सकता है कि उसका परित्याग हुआ और पति ने क्रूरता की है। पुरानी व नई अपील में कोई अलग से तथ्य नहीं दिए गए। इसलिए इन्हें मान्य नहीं किया जा सकता है।

आर्य समाज से किया था विवाह

दरअसल राकेश व रानी (दोनों के परिवर्तित नाम) ने नवंबर 2019 को मूलशंकर आर्य समाज संस्था में प्रेम विवाह किया था। प्रेम विवाह के बाद पत्नी पति के साथ नहीं रही। उसने कुटुंब न्यायालय ग्वालियर में दावा पेश किया कि धोखे से उसके साथ विवाह किया गया है। इसलिए विवाह को शून्य घोषित किया जाए। कुटुंब न्यायालय ने आवेदन खारिज कर दिया। इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की। क्रूरता व परित्याग के आधार पर तलाक मांगा, लेकिन हाईकोर्ट से भी अपील वापस ले ली।
अपील वापसी के बाद पत्नी ने हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13 के तहत तलाक का आवेदन पेश किया। कुटुंब न्यायालय ने अप्रेल 2024 को पत्नी को तलाक की डिक्री पारित कर दी। इसके खिलाफ पति ने हाईकोर्ट में अपील दायर की। पति की ओर से तर्क दिया गया है कि पत्नी (प्रतिवादी) ने हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 12 के तहत पहले मुकदमा दायर किया गया था, जिसमें विवाह को इस आधार पर शून्य और अमान्य घोषित करने की मांग की गई थी कि उसके साथ धोखाधड़ी से विवाह किया गया है।
इसे प्रतिवादी ने बिना किसी स्वतंत्रता की मांग किए वापस ले लिया गया था। फिर से, उन्हीं तथ्यों के आधार पर, पत्नी ने क्रूरता और परित्याग के आधार का दावा पेश किया।

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झूठे आधार पर तलाक का आवेदन दायर किया

ट्रायल कोर्ट ने आपत्तिजनक आदेश पारित किया है। क्योंकि मुकदमा पारिवारिक न्यायालय के समक्ष बनाए रखने योग्य नहीं था। तथ्य यह है कि उन्हीं तथ्यों के आधार पर पहले का मुकदमा, रेस ज्यूडिकेटा के सिद्धांत द्वारा वर्जित है। आगे यह तर्क दिया गया है कि प्रतिवादी की दलीलों से पता चलता है कि माता-पिता के हस्तक्षेप के कारण, प्रतिवादी उसे विवाह तोड़ने के लिए मजबूर कर रहा है और क्रूरता और परित्याग के झूठे आधार पर तलाक का आवेदन दायर किया है। कोर्ट ने इन आधारों पर तलाक की डिक्री को अमान्य कर दिया।

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