मध्यप्रदेश में भिक्षावृत्ति खत्म करने 3 फरवरी 2018 को मध्यप्रदेश भिक्षावृत्ति निवारण अधिनियम 1973 लागू किया गया था। हालांकि इसका पालन नहीं हो रहा। न तो जिलों का प्रशासन भिखारियों पर उचित कार्रवाई कर रहा और न ही उनके लिए प्रवेश केंद्र या गरीब गृह खोले। प्रदेश की व्यवसायिक राजधानी इंदौर और धर्मनगरी उज्जैन को छोड़कर किसी भी जिले में कानून के प्रावधानों का पालन नहीं किया गया।
यह भी पढ़ें : शिलांग जेल में किस हाल में हैं सोनम और राज कुशवाहा, सामने आया बड़ा अपडेट इस पर ग्वालियर हाइकोर्ट में एक जनहित याचिका लगाई गई। याचिकाकर्ता विश्वजीत उपाध्याय ने बताया कि मध्यप्रदेश भिक्षावृत्ति निवारण अधिनियम 1973 में भिखारियों के लिए प्रवेश केंद्र, गरीब गृह बनाने का प्रावधान है ताकि उन्हें जीवन यापन के लिए काम सिखाकर स्वावलंबी बनाया जा सके। लेकिन कहीं भी ऐसे केंद्र नहीं बनाए गए और न ही पुलिस भिखारियों पर कार्रवाई कर रही है।
सभी विभागों और कलेक्टर एसपी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा
याचिका पर सुनवाई में हाइकोर्ट ने सख्ती दिखाई। कोर्ट ने इस कानून के क्रियान्वयन से जुड़े सभी विभागों और कलेक्टर एसपी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा। कोर्ट ने इस संबंध में प्रदेश के अशोकनगर, भिंड, दतिया, गुना, ग्वालियर, मुरैना, श्योपुर, शिवपुरी व विदिशा जिले के कलेक्टर और एसपी से जवाब तलब किया है। इसके साथ ही सामाजिक न्याय विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग को भी नोटिस जारी किया है।