आपको बता दें कि, मृतक अभ्युदय जैन की मां को पहले उसकी हत्या के आरोप में जेल पहुंचा दिया गया था। बच्चे की मां को जेल में लगभग 2 माह बिताने पड़े। पुलिस ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर हत्या का केस मानकर मां को गिरफ्तार किया था। क्योंकि, रिपोर्ट में लड़के का गला घोंटे जाने की बात सामने आई थी। लेकिन, पुलिस की ओर से भी गिरफ्तारी के समय हत्या का कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया गया था।
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अभ्युदय जैन की मौत के मामले में एसआईटी आज खात्मा रिपोर्ट पेश करेगी। CJM कोर्ट में ये प्रतिवेदन पेश किया जाएगा। मामले में अलका जैन को क्लीन चिट मिलने के बाद पुलिस ने खात्मा रिपोर्ट पेश करने जा रही है।
SIT ने पिछले अनुमानों को गलत साबित किया
इस मामले में खास बात ये है कि, पत्नी की गिरफ्तारी के बाद लड़के के पिता ने ही अपनी पत्नी को बेगुनाह साबित करने की लगातार कोशिश जारी रखी। इसी प्रयास के चलते स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम ( SIT ) गठित कर जांच कराई गई। एसआईटी ने अपनी गहन जांच में पिछले सभी अनुमानों को गलत साबित किया है। अब पुलिस इस मामले को खारिज करने की रिपोर्ट पेश कर रही है।
बाथरूम में मिली थी बच्चे की लाश
बता दें कि 14 फरवरी 2025 की शाम कक्षा 8वीं का छात्र अभ्युदय जैन अपने घर के बाथरूम में तौलिये के फंदे पर लटका मिला था। घटना के समय घर का दरवाजा अंदर से बंद था। उसकी मां बैडमिंटन खेलने गई थी। मामले का खुलासा उस समय हुआ, जब मां शाम करीब 7:45 बजे घर लौटी। उसने घर का दरवाजा बंद पाया। उसने मकान मालिक से दूसरी चाबी लेकर दरवाजा खोला। इसी बीच जब वो बाथरूम में गई तो वहां बेटा फंदे पर मृत अवस्था में लटका मिला। पुलिस ने शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। लेकिन, जब जिला अस्पताल की पोस्टमार्टम रिपोर्ट सामने आई तो उसमें गला घोंटे जाने की बात सामने आई थी। यह भी पढ़ें- शादी की खुशियों में पसरा मातम, दूल्हे के घर के सामने ट्रक ने नाना को कुचला 8 मार्च से बेटे की हत्या के जुर्म में जेल में बंद थी मां
रिपोर्ट को आधार मानते हुए पुलिस ने इस मामले को हत्या माना और 22 फरवरी को मामले में एफआईआर दर्ज की गई। शुरुआती जांच के बाद मां को 8 मार्च को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। तभी से उसकी मां जेल में बंद थी। लेकिन पूरी जांच के दौरान अलका खुद को निर्दोष बताती रही।
पति ने बताया निर्दोश, DIG से लगाई गुहार
अलका के पति ने पुलिसिया जांच पर सवाल खड़े किए। वो एक बैंक ऑडिटर हैं। उन्होंने पुलिस महानिदेशक से इसकी शिकायत की। इसके बाद डीआईजी अमित सांघी ने मामले की दोबारा जांच के लिए एसआईटी गठित कर जांच के आदेश दिए।
क्या कहते हैं DIG
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, डीआईजी अमित सांघी का कहना है कि ‘चूंकि मामला अदालत में है, इसलिए हम एसआईटी की फाइंडिंग्स का खुलासा नहीं कर सकते। हमने मामले की बहुत बारीकी से जांच की गई है और आवश्यक कार्रवाई करेंगे। वहीं, विभागीय सूत्रों की मानें तो जांच में जुटी एसआईटी ने भोपाल स्थित गांधी मेडिकल कॉलेज से दूसरी चिकित्सा कानूनी राय मांगी थी, जिसमें उन्हें मौत का कारण आंशिक फांसी बताया गया है। यह भी पढ़ें- मंत्री जी पर मारपीट का आरोप, रेस्टोरेंट में खाने पहुंचे मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल टेबल न मिलने पर भड़के! Video 20 के अंतर वाला एंगल
इसके अलावा मां के फोन के कॉल रिकॉर्ड खंगाले गए, जिसमें पता चला कि, पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, जिस समय से बेटे की मौत का समय दर्शाया गया है, उस समय अलका जैन लगातार फोन पर बात कर रही थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बच्चे की मौत के समय और अलका के फोन पर बात करने के समय में सिर्फ 20 मिनट का अंतर था। ऐसे में एसआईटी ने माना कि इतने कम समय में उसके लिए अपराध करना और एक पूरा दृश्य बनाना असंभव था। साथ ही, जांच में ये भी पता चला कि, उस दिन दरवाजा अंदर से बंद था, जिसकी एक चाबी अलका ने मकान मालिक से ली, जबकि दूसरी घर के अंदर ही थी। इससे पता चला कि, कोई बाहरी व्यक्ति घटना के समय घर में नहीं था।
पढ़ाई में कमजोर था लड़का
एसआईटी द्वारा की गई जांच में ये भी सामने आया कि लड़का पढ़ाई में कमजोर था। वो दो विषयों में फेल हो गया था। उसने अपनी मौत के दिन हिंदी की परीक्षा में 80 में से सिर्फ 28 अंक प्राप्त किए थे। जांच टीम का मानना है कि, पढ़ाई के दबाव के कारण उसने आत्महत्या की है।
पति के विश्वास से सामने आया सच
ऐसे में अब बड़ी बात इस मामले में जो देखने लायक रही वो ये कि, अगर पति को अपनी पत्नी पर विश्वास न होता और वो बेटे की मौते के गम के बावजूद पत्नी को निर्दोष साबित कराने के प्रयास न करता तो संभवत इस मामले में कोई नई जांच न होती और मां जीवनभर अपने बेटे की हत्या के कलंक के साथ जेल में कैद रहती।