मौसम को देखते हुए लिए गया फैसला
जारी आदेश के अनुसार जनपद में संचालित परिषदीय, राजकीय, अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालयों के साथ-साथ सीबीएसई और आईसीएससी से संबद्ध निजी शिक्षण संस्थानों एवं मदरसों में कक्षा नर्सरी से लेकर 12वीं तक के विद्यार्थियों की छुट्टी रहेगी। यह निर्णय भारी वर्षा के चलते संभावित जोखिम और छात्र-छात्राओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
शिक्षक आएंगे स्कूल
हालांकि, आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि जिले के सभी परिषदीय प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और कंपोजिट विद्यालयों के शिक्षक व समस्त स्टाफ को समय पर विद्यालय पहुंचना होगा। शिक्षकों को विभागीय कार्यों का निर्वहन करने का निर्देश दिया गया है। इस संबंध में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी राहुल पंवार ने कहा कि आदेश का कड़ाई से पालन सुनिश्चित किया जाए।
घरों से बाहर नहीं निकलने की अपील
लगातार बारिश से नोएडा के कई इलाकों में जलभराव की स्थिति बन गई है। प्रमुख सड़कों और कॉलोनियों में जगह-जगह पानी भर गया है, जिससे यातायात और स्थानीय लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में बच्चों को सुरक्षित घर पर रखने के लिए यह कदम उठाया गया है। प्रशासन ने अभिभावकों से अपील की है कि वे बच्चों को अनावश्यक रूप से घर से बाहर न निकलने दें।
24 घंटे से बारिश का सिलसिला जारी
गौरतलब है कि बीते 24 घंटों से जिले में भारी बारिश का सिलसिला जारी है और मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में भी तेज बारिश की संभावना जताई है। इस कारण प्रशासन पूरी तरह सतर्क है और लगातार हालात पर नजर बनाए हुए है।
गाजियाबाद और मेरठ में भी स्कूल बंद
खराब मौसम को देखते हुए गाजियाबाद, बुलंदशहर और मथुरा में भी स्कूलों की छुट्टी घोषित की गई है मेरठ में भी कक्षा 8वीं तक के स्कूल बंद के आदेश जारी किए गए हैं। इस वजह से 3 सितंबर को भी सभी परिषदीय, राजकीय, अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालय, सीबीएसई, आईसीएसई और मदरसा बोर्ड से संबद्ध स्कूलों में नर्सरी से कक्षा 8वीं तक के छात्रों की छुट्टी रहेगी।
उत्तराखंड के दो जिलों में अवकाश घोषित
मौसम विभाग के अलर्ट के बाद उत्तराखंड के चंपावत और चमोली जिलों में जिला प्रशासन ने एहतियाती कदम उठाते हुए कक्षा 12वीं तक के सभी सरकारी, गैर-सरकारी और निजी विद्यालयों को बंद रखने का आदेश जारी किया है। इसके साथ ही जिले के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में भी अवकाश घोषित कर दिया गया है। यह निर्णय छात्रों की सुरक्षा और खराब मौसम की स्थिति को देखते हुए लिया गया है।