निर्णय लिया गया कि मंगलवार से ही किसानों को पानी दिया जाएगा। कार्यपालन अभियंता एसके बर्मन ने बताया कि जिले में एक बड़ा और 48 लघु जलाशय हैं। सिकासार डैम में लगभग 87.74 प्रतिशत जल उपलब्ध है। वहीं, लघु जलाशयों में क्षमता का 50.69 प्रतिशत जल संग्रहित है। सिकासार डैम से 38,300 हैक्टर क्षेत्र में पानी भेजा जाएगा। वहीं पैरी परियोजना बांयी तट नहर से 49 ग्रामों में 12,100 हैक्टर और छोटे डैम से करीब 27,110 हैक्टर क्षेत्र में फसलों के लिए पानी दिया जाना प्रास्तावित है। विधायक रोहित ने किसानों से अपील की है कि वे पानी की बचत करें। फसल चक्र अपनाएं।
अकाल जैसी नौबत, चिंता बढ़ी
किसान खासे चिंतित हैं। यही वजह है कि किसानों ने बारिश के लिए अब टोटके आजमाना शुरू किया है। कई गांवों में पखवाड़ेभर के भीतर कई जगहों पर रामधुनि का आयोजन किया जा चुका है। वहीं, क्षेत्र के दर्जनों किसानों व क्षेत्रवासियों ने बेहतर बारिश की आस में टोटके के रूप मे घरों के भगवान की प्रतिमाओं को पानी से भरे बर्तनों के भीतर डाल दिया है। किसानों ने बताया कि बारिश न होने से सालभर की मेहनत के साथ उनके परिवार को दाने-दाने के लिए मोहताज होना पड़ सकता है। एक तरह से अकाल जैसी नौबत नजर आ रही है। किसानों को भरोसा है कि टोटकों से भगवान प्रसन्न होंगे और अच्छी बारिश होगी। इससे फसलों के साथ किसानों की आमदनी भी बच जाएगी।
बलौदाबाजार के खेतों के लिए मंगलवार को ही गंगरेल से पानी छोड़ा
बलौदाबाजार. शहर समेत आसपास के इलाकों में सावन बीत जाने के बाद भी पर्याप्त बारिश नहीं हुई है। ऐसे में लोगों ने बारिश के लिए पुराने और नए टोटके आजमाना शुरू कर दिया है। इसके तहत ग्रामीण इलाकों में अखंड रामायण, रामधुनि से लेकर मेंढक-मेंढकी की शादी करवाने की तैयारी है। इलाके की प्राचीन मान्यताओं के तहत दर्जनों लोगों ने अपने घर में स्थापित भगवान की मूर्तियों को पानी से भरे बर्तन में डुबोकर रख दिया है।। बारिश न होने से इलाके में रोपाई-बियासी जैसे कृषि कार्य रूके हुए हैं। इससे किसान खेती में पिछड़ते जा रहे हैं। इस बीच किसानों के लिए राहत भरी खबर यह रही कि बारिश की कमी से फसल प्रभावित होती देखकर मंगलवार को गंगरेल डैम से पानी छोड़ा गया है। इसके अगले एक या दो दिन में ग्राम बुड़ेनी और कनकी पहुंचने की संभावना है। बता दें कि इलाके में सावन माह की विदाई होते होते भी बारिश की स्थिति बेहद कमजोर है।
इलाके में इस साल बारिश बेहद कमजोर हो रही है। इसका सीधा असर कृषि पर नजर आ रहा है। कमजोर बारिश की वजह से इलाके में रोपाई तथा बयासी के काम लगातार पिछड़े हुए हैं। इससे फसल लगातार कमजोर होती जा रही है। इलाके में पिछले कुछ दिनों से दिन में एक-दो बार बूंदाबांदी हो रही है, लेकिन यह रिमझिम बारिश खेतों के लिए खास फायदेमंद नहीं है। खेतों में पानी नहीं भरने से रोपाई, बियासी नहीं हो पा रही है।
पिछले कुछ दिनों से जिले में बारिश न होने से धान की खेती के लिए पानी की जरूरत बढ़ गई है। कलेक्टर दीपक सोनी ने स्थिति को गंभीरता से लेते हुए जल संसाधन विभाग के अफसरों को जरुरी निर्देश दिए, जिसके बाद खरीफ की सिंचाई के लिए मंगलवार को गंगरेल डैम से पानी छोड़ा गया है। अगले एक या दो दिन में यह पानी बुड़ेनी और कनकी गांव तक पहुंचने की संभावना है।
मिली जानकारी के अनुसार, गंगरेल से छोड़े गए पानी से महानदी परियोजना की जल प्रबंधन संभाग क्रमांक 2 और 3 के अंतर्गत जिले के 489 गांव की 264482 एकड़ फसल की सिंचाई के लिए पानी मिलेगा। इसमें जल प्रबंधन संभाग 2 बलौदाबाजार के 323 गांव की 195291 एकड़ और डिसनेट संभाग क्रमांक 3 तिल्दा के 166 गांव की 69191 एकड़ फसल शामिल है।