बच्चों का टूट गया आत्मविश्वास
वे नाराज थे प्राचार्य वर्मा पर छात्रों को मानसिक रूप से परेशान करने और मनमाने फैसले लेने का आरोप था। स्कूल परिसर में घंटों अफरा-तफरी मची रही। पढ़ाई पूरी तरह ठप हो गई।
सरकारी स्कूल की पढ़ाई पर ग्रहण लग गया। ग्रामीणों और छात्रों ने आरोप लगाया कि सालभर मेहनत करने वाले छात्र-छात्राओं को जानबूझकर फेल कर दिया गया। बहुत से ऐसे छात्र थे जो असल में पास थे, लेकिन प्राचार्य की मनमानी ने उन्हें फेल दिखा दिया। इससे बच्चों का आत्मविश्वास टूट गया।
कई छात्र डिप्रेशन के कगार पर पहुंच गए। एक अभिभावक बोले, हमारे बच्चों के साथ अन्याय हुआ है। पास हुए बच्चों को फेल दिखाकर उनका करियर बर्बाद करने की कोशिश की गई। एक छात्र ने कहा, हमसे कहा गया कि तुम फेल हो। हमारी कॉपियां भी नहीं दिखाई गईं। हमारी मेहनत बेकार हो गई। घर में सब लोग दुखी हैं। पता नहीं अब आगे क्या होगा। एक छात्रा रोते हुए बोली, हम गरीब परिवार से आते हैं। पूरे साल पढ़ाई की। पास थे, फिर भी फेल कर दिया गया।
ग्रामीणों और अभिभावकों ने की दो प्रमुख मांगें
अब दोबारा कैसे पढ़ाई करें? ग्रामीणों और अभिभावकों ने दो प्रमुख मांगें की हैं, जिनमें प्राचार्य वर्मा को तुरंत हटाया जाए। 11वीं परीक्षा परिणाम में हेराफेरी की उच्चस्तरीय जांच हो और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो। उन्होंने चेतावनी दी कि जब तक प्रशासन उचित कदम नहीं उठाता, वे स्कूल संचालन में कोई सहयोग नहीं करेंगे। बता दें कि ताला लगने से शिक्षकों को भी प्रवेश नहीं मिला। बच्चों को घर भेज दिया गया। पूरे गांव में यह मामला चर्चा का विषय बना। कई ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि समय रहते कार्रवाई न हुई तो आंदोलन और तेज होगा। मौके पर बीईओ तहसीलदार पहुंचे
घटना की जानकारी मिलते ही
शिक्षा विभाग सक्रिय हुआ। बीईओ और तहसीलदार ने मौके पर पहुंचकर समझाने की कोशिश की। प्रदर्शनकारी डीईआं और जिला कलेक्टर को भी ज्ञापन देने की तैयारी में हैं। हालांकि, अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई थी। शिक्षा विशेषज्ञों ने कहा कि इस तरह की वाद-विवाद केवल पढ़ाई को ही प्रभावित नहीं करते बल्कि छात्रों के भविष्य के साथ भी खिलवाड़ है। उनका मानना है कि शिक्षा व्यवस्था को बचाना है तो ऐसी मनमानी पर तुरंत अंकुश लगाना जरूरी है।
अकलवारा हाई स्कूल की यह घटना विद्यालय स्तर पर शिक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी को लेकर बड़े सवाल खड़े करती है। राजकीय कोष से शिक्षा को लेकर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। लेकिन स्कूल स्तर पर नृशंस मनमानी से अगर मेहनत की गई पढ़ाई को ही बर्बाद कर दिया जाए, तो पूरी शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठना स्वाभाविक है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन कब तक इस मामले को संज्ञान में लेकर उचित कदम उठाता है।